जम्मू, 1 जनवरी (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर की दो बड़ी पार्टियों पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश में सरकार के गठन की कोशिशें तेज कर दी हैं। दोनों दलों के बीच गठबंधन में आ रही समस्याओं के संकेत के बीच गुरुवार को उन्होंने साफ किया कि वे सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। राज्यपाल एन.एन.वोहरा से पीडीपी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात के एक दिन बाद भाजपा ने राज्यपाल से संक्षिप्त मुलाकात की और कहा कि वह राज्य में एक स्थिर सरकार के गठन के लिए प्रतिबद्ध है।
पीडीपी के एक नेता ने आईएनएस से कहा कि दोनों पार्टियों के बीच संचार के सभी रास्ते खुले हैं। वहीं पार्टी प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, “लेकिन सरकार गठन को लेकर वार्ता होनी अभी बाकी है।”
इससे पहले, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जुगल किशोर ने कहा था कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता समस्याग्रस्त राज्य में स्थिर सरकार देना है।
उन्होंने कहा कि पीडीपी के साथ सरकार गठन को लेकर एक औपचारिक वार्ता शुरू होगी।
पीडीपी ने सरकार गठन पर यह कहकर सहमति जताई है कि प्रदेश को समस्याओं से निजात दिलाने के लिए यहां एक स्थिर सरकार की जरूरत है।
जुगल किशोर ने कहा, “वार्ता शुरू होने वाली है और सौहार्दपूर्ण माहौल में होगी।”
87 सीटों वाले त्रिशंकु विधानसभा में पीडीपी को 28, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली हैं।
किशोर ने कहा, “स्थिर सरकार प्राथमिकता है। हमें सरकार बनाने की जल्दबाजी नहीं है।”
किशोर ने कहा कि उन्हें सरकार गठन को लेकर कोई हिचकिचाहट नजर नहीं आती। उन्होंने कहा कि राज्य में गठबंधन सरकार अगले छह साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रशंसा की थी, जिसके बाद भाजपा महासचिव राम माधव ने पीडीपी नेता को धन्यवाद दिया था।
पीडीपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, सरकार गठन के लिए पीडीपी तथा भाजपा के बीच वार्ता के पहले जो भी अवरोध होंगे, उन्हें दूर कर लिया जाएगा।
सूत्र ने कहा, “प्रदेश के विकास, भ्रष्टाचार पर अंकुश व बेरोजगारी तथा सूचना-प्रौद्योगिकी व पर्यटन मुद्दे पर हमारा और भाजपा का मत एक है। वैचारिक विरोध पर बैठक में चर्चा होगी।”
पीडीपी तथा भाजपा को इस बात का पूरा अहसास है कि दोनों का जनादेश बेहद ध्रुवीकृत है। कश्मीर घाटी के मुसलमान समुदाय ने जहां पीडीपी को मत दिया है, वहीं हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र के मतदाताओं ने भाजपा को मतदान किया है। इसके मद्देनजर, इसपर सामंजस्य बैठाते हुए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करना होगा।
पीडीपी के आंतरिक सूत्र इस बात को स्वीकार करते हैं कि अगर मतभेदों को नहीं सुलझाया गया, तो अंतत: यहां राज्यपाल शासन ही अंतिम विकल्प होगा।
किसी भी पार्टी ने हालांकि अभी तक सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट नहीं किया है कि सरकार गठन को लेकर आखिर पेंच कहां फंसा है। लेकिन दोनों ही पार्टी के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक, पेंच कश्मीर समस्या तथा क्या एक ही पार्टी का मुख्यमंत्री छह सालों के लिए होगा या छह साल की अवधि को दोनों पार्टियां साझा करेंगी, इसपर फंसा है।