प्रकृति की हरियाली, सूरज की सुनहरी रोशनी, आसमान का नीलापन, आसमान में काली घटाएं और चंद्रमा का उजाला.. हमारा जीवन हर तरफ से रंगों से भरा हुआ है। रंग सिर्फ बाहर ही नहीं, हमारे भीतर भी हैं।?
मन के माध्यम से हम कल्पना के इंद्रधनुष पर सवार हो सकते हैं। रंग-बिरंगी तितलियों को देख खुश हो सकते हैं। कैसे हैं हमारे भीतर के रंग :
लाल : लाल रंग प्रकाश का संयोजी प्राथमिक रंग है, जो हमारे मन में आत्मविश्वास जगाता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
नारंगी : यह रंग नारंगी फल के छिलके के रंग जैसा दिखता है। इस रंग से हमारे भीतर त्याग की भावना आती है।
पीला : इस रंग में लाल और हरे रंग की मात्रा ज्यादा होती है एवं नीला वर्ण कम होता है। पीला रंग शुद्ध एवं सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है। यह रंग शुद्धता एवं निर्मलता का प्रतीक है।
हरा : यह इंद्रधनुष का चौथा रंग है। यह रंग प्रकृति से संबंध और संपन्नता को दर्शाता है।
आसमानी रंग : आसमान का रंग होने के कारण इसे आसमानी रंग कहा जाता है। इस रंग में नीले और सफेद रंग का मिश्रण होता है। यह रंग हमारे भीतर आध्यात्मिक बोध उत्पन्न करता है।
नीला : इस रंग को प्राथमिक रंग भी कहा जाता है। यह हमारे चिंतन में गहराई का प्रभाव उत्पन्न करता है। यह हमारी कल्पनाशक्ति का भी परिचायक है।