लंदन, 15 मई (आईएएनएस)। बच्चों में कैंसर के क्षेत्र में कार्यरत ब्रिटेन के एक गैर लाभकारी संगठन ने इस बात का खुलासा किया है कि स्मार्टफोन में लगे कैमरे से आंख के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। आमतौर पर आंख का कैंसर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है।
चाइल्डहुड आई कैंसर ट्रस्ट (सीएचईसीटी) के मुताबिक, स्मार्टफोन के कैमरे के फ्लैश आसानी से रेटिनाब्लास्टोमा की पहचान कर सकते हैं। रेटिनाब्लास्टोमा एक तरह का नेत्र कैंसर है, जो आमतौर पर बच्चों में होता है।
इस बीमारी से आंखों के रेटिना में ट्यूमर की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
पत्रिका ‘द वर्ज’ के मुताबिक, स्मार्टफोन के इस्तेमाल से संस्थान की टीम ने ब्रिटेन की महिला एलिसा सोमर्स की चार महीने की बेटी आर्विन की जान बचाई। आर्विन रेटिनोब्लास्टिका से पीड़ित थी।
सीएचईसीटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉय फेलगेट ने कहा, “हमारी उम्मीद यह है कि हमारे शोध से कोई भी बच्चा इस बीमारी से पीड़ित नहीं होगा।”
इस बीमारी से पीड़ित बच्चे का फोटो खींचने पर उसकी आंख की पुतली के आसपास सफेद चमक दिखाई देती है।
जब किसी बच्चे की आंख के भीतर ट्यूमर बढ़ता है तो फ्लैश फोटो में सफेद छाया के रूप में उसका प्रतिबिंब दिखाई देता है। इसकी जल्द पहचान कर बच्चे की दृष्टि, उसकी आंख और जिंदगी बचाई जा सकती है।