नई दिल्ली, 25 मार्च (आईएएनएस)। पूर्व दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने स्पेक्ट्रम नीलामी में गंभीर खामी की ओर इशारा किया है।
नई दिल्ली, 25 मार्च (आईएएनएस)। पूर्व दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने स्पेक्ट्रम नीलामी में गंभीर खामी की ओर इशारा किया है।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के उनके कार्यालय से मध्य दिल्ली के आवास तक कुछ किलोमीटर की यात्रा के दौरान उनका फोन कॉल औसतन चार बार कट जाता है।
सिब्बल वरिष्ठ वकील हैं। संयोग से वर्तमान दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी वरिष्ठ वकील हैं।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “(जब मंत्रालय उनके पास था) तब ऐसा नहीं होता था। ऐसा इसलिए है कि आज दूरसंचार अवसंरचना पर जरूरत से ज्यादा दबाव है। सरकार द्वारा पूरी कीमत अग्रिम ले लेने से कंपनियों के पास अवसंरचना विकास के लिए बहुत कम पैसे बचेंगे।”
उन्होंने कहा कि समस्या की जड़ में मौजूदा नीलामी प्रक्रिया है, जिसमें आधार मूल्य काफी ऊंचा है। इसके कारण सरकार को भले ही काफी आय हो सकती है, और जो देखने में सफल लग सकता है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है। बहुत थोड़ा स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए कंपनियों को बहुत बड़ी राशि झोंकनी पड़ती है और इसके कारण वित्तीय प्रणाली पर दबाव बढ़ जाता है।
पूर्व मंत्री ने कहा, “दूरसंचार क्षेत्र पर 3.4 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमत अदा करने के बाद कंपनियों के पास अवसंरचना पर निवेश के लिए धन नहीं बचेगा।”
सिब्बल ने कहा, “इतनी बड़ी प्रतिबद्धता का वादा करने के बाद कंपनियां अपना कर्ज चुका नहीं पाएगी। उन्हें अपने कर्ज का सरलीकरण करना होगा। इसके कारण कंपनियों की आय प्रभावित होगी और कॉल की दर बढ़ जाएगी।”
अवरुद्ध परियोजनाओं के कारण बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बढ़ रही हैं और वित्त मंत्रालय ने अपने ताजा सर्वेक्षण में कहा है कि दिसंबर आखिर तक एनपीए बढ़कर 8.80 लाख करोड़ हो गया है।
विश्लेषकों के मुताबिक ताजा नीलामी में अपने स्पेक्ट्रम का नवीनीकरण कराने के कारण 2017-18 में भारती एयरटेल और आईडिया सेल्युलर की आय 33 फीसदी तक घट सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार बहुत कम स्पेक्ट्रम विशाल पैमाने पर नीलाम की जा रही है, जिसके कारण अभाव पैदा हो रहा है और कीमत आसमान पर पहुंच गई है।
सिब्बल ने कहा कि आखिरी सवाल मॉडल पर और आपके चुनाव पर आकर टिक जाता है।
उन्होंने कहा, “नीलामी से आपको अधिक आय मिल जाएगी, लेकिन यह एकमात्र मॉडल नहीं है। सरकार सारा पैसा अग्रिम ले लेने का भी चुनाव नहीं कर सकती है। सरकार उत्पादन में साझेदारी का मॉडल अपना सकती है, जैसा कि तेल उत्खनन में हो रहा है।”
सिब्बल ने कहा कि सरकार का मकसद उत्पादन और रोजगार बढ़ाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों की औद्योगिक नीति उद्योग को सब्सिडी दर पर भूमि देने की है।
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, “यदि नीलामी एकमात्र मॉडल है, तो क्यों नहीं वे स्कूल की भूमि नीलाम करते हैं। पंजाब सर्वोत्तम उदाहरण है, जहां औद्योगिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर भूमि का आवंटन सब्सिडी दर पर किया गया।”
सिब्बल ने आगे कहा, “अनेक देश हैं, जहां संसाधनों की नीलामी नहीं होती। चीन ने यदि उद्यमों को मुफ्त जमीन नहीं दी होती, तो चीन का तेज विकास नहीं होता और कंपनियां सारा संसाधन उत्पादन पर खर्च नहीं कर पातीं।”
उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि सस्ती कॉल दर का युग समाप्त हो गया है। इस नीलामी ने जनहित को प्रभावित किया है, जो कि सरकार का प्रमुख उद्देश्य है।
उन्होंने कहा, “मैंने यह कभी नहीं कहा है कि सरकार नीलामी से अधिक धन नहीं कमाएगी। निश्चित रूप से वह कमाएगी। लेकिन वह मकसद नहीं हो सकता है। सरकार को अधिकाधिक जनहित हासिल करने के लिए काम करना होता है।”