नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दूरसंचार कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम खरीद-बिक्री नियमों को मंजूरी दे दी। इससे स्पेक्ट्रम के बेहतर उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम वाली कंपनियों के लिए आय के अवसर भी खुलेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी के बाद संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, “हमने स्पेक्ट्रम खरीद-बिक्री नियमों को मंजूरी दे दी। अब दूरसंचार कंपनियां आपस में स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें सरकारी अनुमति की जरूरत नहीं होगी।”
प्रसाद ने कहा, “कंपनियों को सिर्फ 45 दिन पहले इसकी सूचना एक हलफनामे के साथ देनी होगी।”
इसे पूरी तरह से मुक्त किए जाने की उद्योग की मांग हालांकि पूरी नहीं हुई। बेचे जाने वाले स्पेक्ट्रम का एक फीसदी शुल्क रूप में सरकार को देय होगा। इसका भुगतान खरीदने वाली कंपनी करेगी।
प्रसाद ने कहा, “स्पेक्ट्रम खरीद-बिक्री के लिए सभी बैंडों में मंजूरी दी गई है।”
एक महीने पहले सरकार ने स्पेक्ट्रम साझेदारी दिशानिर्देशों को मंजूरी दी थी। इससे कॉल ड्रॉप की समस्या घट सकती है और कॉल की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री के तहत अतिरिक्त स्पेक्ट्रम वाली कंपनी उस कंपनी को स्पेक्ट्रम का अधिकार और देनदारी बेच सकेगी, जिसे स्पेक्ट्रम की कमी महसूस हो रही है।
ताजा मंजूरी के तहत कंपनियों के लिए हालांकि सिर्फ सरकार को सूचित करने की बाध्यता रखी गई है, लेकिन नमूना जांच के दौरान यदि कोई इसका उल्लंघन करता पाया जाएगा, तो उसे इस संसाधन में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने कहा, “स्पेक्ट्रम साझेदारी और स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री को मंजूरी देने के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं। इससे उद्योग को काफी मदद मिलेगी।”
मैथ्यूज ने हालांकि आईएएनएस से कहा, “स्पेक्ट्रम पर लगाई गई सीमा हालांकि इस मंजूरी के असर को सीमित करेगी।” ताजा मंजूरी सिर्फ 2010 की नीलामी वाले स्पेक्ट्रम के लिए है और स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रभावी तिथि के दो साल तक खरीद-बिक्री पर रोक है।
दूरसंचार परामर्श कंपनी कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने कहा कि मंजूरी से स्पेक्ट्रम खरीदारी का लचीलापन बढ़ेगा। उन्होंने आईएएनएस से कहा, “जिस कंपनी के पास बेकार अतिरिक्त स्पेक्ट्रम है, वह उसे बेच पाएगा। इसलिए स्पेक्ट्रम में लचीलापन बढ़ने का हमेशा स्वागत होगा।”
स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री से आवंटित स्पेक्ट्रम की मूल वैधता अवधि में कोई बदलाव नहीं होगा।
नियमों के मुताबिक, “स्पेक्ट्रम बेचने से पहले विक्रेता कंपनी को सभी बकायों का भुगतान करना होगा। उसके बाद किसी भी देनदारी का भुगतान खरीदार करेगा।”