नई दिल्ली। नेशनल हेरल्ड केस में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को समन भेजे जाने के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दी है। इस अर्जी पर 1 अगस्त को सुनवाई हो सकती है। बताया गया है कि पार्टी के सीनियर नेता और वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस की तरफ से हाई कोर्ट में केस लड़ेंगे।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अनुचित तरीके से नैशनल हेरल्ड अखबार की सपंत्तियों पर कब्जा कर लिया है। उनकी याचिका पर पटियाला हाउस की कोर्ट ने कांग्रेस के दोनों नेताओं को समन जारी करके 7 अगस्त को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
इसी मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कांग्रेस पार्टी को नोटिस जारी कर पूछा है कि राजनीतिक पार्टी होने के बावजूद व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से क्यों न उसको मिली टैक्स छूट वापस ले ली जाए। सोनिया गांधी का कहना है कि पार्टी के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई हो रही है।
शिकायतकर्ता सुब्रमण्यन स्वामी का आरोप है कि हेरल्ड हाउस के नाम से जो 1600 करोड़ रुपये की संपत्ति है, उसका इस्तेमाल निजी फायदे के लिए किया जा रहा है। यह संपत्ति असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति है और स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार ने गुपचुप तरीके से इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।
क्या है मामला?
द असोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (टीएजेएल) ‘नैशनल हेरल्ड’ अखबार के प्रकाशन का स्वामित्व रखती है। दावा किया जाता है कि नई दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेरल्ड हाउस की कीमत तकरीबन 1,600 करोड़ रुपये है। इस बिल्डिंग पर टीएजेएल का मालिकाना हक है। कांग्रेस ने 26 फरवरी, 2011 को टीएजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया।
सुब्रमण्यन स्वामी का आरोप है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई। यंग इंडियन में सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष 24% हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है।
आरोप है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दे दिया गया है। हेरल्ड हाउस को पासपोर्ट ऑफिस के लिए किराये पर दिया गया है। स्वामी का कहना है कि हेरल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।