भोपाल, 20 अगस्त (आईएएनएस)। फ्रेश वॉटर एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया (देंसा) के क्षेत्रीय समन्वयक रामीशेट्टी मुरली ने कहा है कि खुले में शौच को पूरी तरह बंद करने के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है, सिर्फ शौचालय बना देने से खुले में शौच बंद हो जाएगा, ऐसा संभव नहीं है।
मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए मुरली ने गुरुवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि समाज को यह बताना होगा कि खुले में शौच से क्या नुकसान है, बीमारियां किस तरह फैलती और बढ़ती हैं। इनसे बचना है तो खुले में शौच न करें।
उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में खुले में शौच को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की कहानी सुनकर लगता है कि इस बुराई को खत्म करना ज्यादा कठिन नहीं है, क्योंेकि यहां नौकरशाह कुछ करते नजर आ रहे हैं, वहीं जब देश के दूसरे हिस्सों में जमीनी हालात देखे जाते हैं तो काम बड़ा ही कठिन प्रतीत होने लगता है।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ का जिक्र करते हुए मुरली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का संकल्प लिया है, इसमें सिविल सोसायटी को अहम भूमिका निभानी होगी। सिर्फ शौचालयों की संख्या पर जोर नहीं होना चाहिए, बल्कि कोई खुले में शौच न करे, इसे अपना लक्ष्य बनाना होगा। समाज को जिंदा सिविल सोसायटी की जरूरत है जो समाज की आवाज बने।
गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों से उन्होंने कहा कि यह बदलाव का दौर है, एनजीओ को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए प्रयास करना होंगे, क्योंकि उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, उन्हें समाज की आवाज बनना होगा।
मुरली ने कहा कि एक दौर था, जब एनजीओ समाज के बीच में जाकर काम करता था और उनकी आवाज बनकर काम करता था। सरकार की नीतियों के बनाने में भी एनजीओ की अहम भूमिका रही है।