रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन की राय में, यूक्रेनी अधिकारी इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार हैं। इस बीच, यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में लड़ रहे जनसैनिकों ने कीव को जाँच-पड़ताल की अवधि के दौरान संघर्ष-विराम करने की पेशकश की है।
298 विदेशी नागरिक यूक्रेन में चल रहे युद्ध के शिकार बने हैं। एम्सटर्डम से कुआलालंपुर जा रहे और यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में दुर्घटनाग्रस्त हुए मलेशिया एयरलाइंस के बोइंग-777 विमान में चालक दल के सदस्यों सहित ठीक 298 यात्री ही सवार थे। अब इस बात का भी पता लगाना होगा कि दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के आकाश के रास्ते, जहाँ लड़ाकू विमानों सहित भारी हथियारों से पूर्ण पैमाने का एक युद्ध चल रहा है, यात्री विमान की उड़ान क्यों भरी गई थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने शोक-संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर कीव ने देश के दक्षिण-पूर्व में सैन्य अभियान नहीं चलाया होता तो यह त्रासदी भी नहीं घटनी थी। व्लादिमीर पूतिन ने कहा-
रूसी जनता, यूक्रेनी जनता और दुनिया भर के लोगों के लिए इस धटना की तस्वीर पूरी तरह से स्पष्ट करने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह ज़रूर करेंगे। ऐसी बातें पूरी तरह से अस्वीकार्य बातें हैं। इस दुर्घटना के उचित निष्कर्ष निकाले बिना तब तक किसी को भी इस त्रासदी की अनदेखी करने का अधिकार नहीं है, जब तक कि इस दुर्घटना के बारे में सही-सही जानकारी मिल नहीं जाती है।
फ़िलहाल इस त्रासदी के कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन विमान में किसी तकनीकी ख़राबी को इन कारणों में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ में रूस के राजकीय नागर विमानन अनुसंधान संस्थान के उड़ान-परीक्षण केंद्र के प्रमुख रूबेन येसयान ने कहा-
अगर विमान में कोई तकनीकी ख़राबी होती को विमान का पायलट-दल यूक्रेन के हवाई यातायात-नियंत्रण केंद्र को इसकी सूचना दे सकता था। लेकिन पायलट-दल ने ऐसी कोई सूचना नहीं दी, जिसका मतलब यह है कि विमान आसमान में ही तबाह हो गया था।
सबसे बड़ी संभावना यह है कि मलेशियाई विमान को मार गिराया गया था। कीव ने तुरंत ही यह आरोप लगाया है कि जनरक्षकों द्वारा इस विमान को मार गिराया गया था। लेकिन यह “बोइंग” विमान तो साढ़े दस हज़ार से भी अधिक किलोमीटर की ऊँचाई पर उड़ रहा था। अगर जनरक्षकों के पास “बूक” वर्ग की ज़मीन से हवा में मार करने वाली विमान-भेदी मिसाइलें भी मौजूद हों, हालांकि इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है, तो भी इतनी ऊँचाई पर तेज़ गति से उड़ रहे विमान को मार गिराना- कोई आसान काम नहीं है। इस सिलसिले में रूस के एक अस्त्र-विशेषज्ञ आंद्रेई क्लिन्त्सेविच ने कहा-
इतनी ऊँचाई पर तेज़ गति से उड़ रहे विमान को मार गिराना- लगभग असंभव है। इसके लिए एक मिनट से भी कम समय में निर्णय लेना होता है। अप्रशिक्षित जनसैनिक शायद ही ऐसा कर सकते हैं। इसलिए, यह विमान किसी आतंकवादी हमले के परिणामस्वरुप हवा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, या किसी लड़ाकू विमान द्वारा मार गिराया गया था। एस-200 वर्ग की शक्तिशाली विमानभेदी प्रणाली से ऐसा किया जा सकता है। “बूक” से भी ऐसा किया जा सकता है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है।
यूक्रेनी सशस्त्र बलों द्वारा एस-200 वर्ग की विमानभेदी प्रणाली की सहायता से ऐसा एक कृत्य इससे पहले भी किया जा चुका है। यह दुर्घटना सन् 2001 में घटी थी जब सैन्य अभ्यासों के दौरान तेलअवीव से नोवोसिबिर्स्क जा रहे टीयू-154 यात्री विमान को मार गिराया गया था। उस विमान में सवार सभी 66 यात्रियों और चालक दल के 12 सदस्यों की मौत हो गई थी। शुरू में तो यूक्रेनी अधिकारियों ने इस दुर्घटना की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में यूक्रेनी सेना ने अपनी यह ग़लती मान ली थी।
कीव इस बार भी अपना पुराना राग अलाप रहा है। उसका कहना है कि उसने जानबूझकर या ग़लती से ऐसा कुछ भी नहीं किया है। लेकिन इस त्रासदी के बारे में सारी सच्चाई ज़रूर सामने आ जाएगी। विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स, यानी उड़ान-रिकार्डर मिल गए हैं और वे दोनों अच्छी हालत में हैं। दुनिया भर की उपग्रह सेवाओं द्वारा पृथ्वी से किए जाते किसी भी मिसाइल प्रक्षेपण पर नज़र रखी जाती है। इसलिए यह पता लगाना मुश्किल नहीं है कि किसने विमान को मार गिराया था। अमरीकी खुफिया सेवा के एक अनाम स्रोत ने बताया है कि इस क्षेत्र में “ज़मीन से हवा में” मिसाइलों का प्रक्षेपण किया गया था। लेकिन मलेशियाई यात्री विमान के स्पेनिश हवाई यातायात नियंत्रक ने बताया कि उन्होंने दुर्घटना से कुछ ही मिनट पहले रडार पर “बोइंग” के पास दो यूक्रेनी लड़ाकू विमान भी उड़ते देखे थे।
इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय विमानन समिति ने इस त्रासदी की जाँच-पड़ताल शुरू कर दी है। यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में लड़ रहे जनसैनिकों ने कहा है कि वे इस दुर्घटना की जाँच-पड़ताल के काम में पूरी-पूरी मदद करेंगे और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन के प्रेक्षकों और यूक्रेनी अधिकारियों की दुर्घटना-स्थल तक सुरक्षित पहुँच को भी सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने जाँच-पड़ताल की अवधि के दौरान संघर्ष-विराम करने की पेशकश भी की है।