सोनभद्र, 25 जुलाई (आईएएनएस)। सोनभद्र में नरसंहार की जड़ जमीन विवाद में संलिप्त माने जा रहे बिहार कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रभात मिश्रा ने जमीन हड़पने के आरोपों से इंकार किया है और कहा कि उनके पास जमीन के सौदे की सत्यता बताने वाले सभी दस्तावेज हैं।
मिश्रा (86) अब पटना में बस गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि उनके ससुर महेश्वर प्रसाद नारायन सिन्हा ने राजा बरहार आनंद ब्रह्मशाह से 1,000 बीघा जमीन खरीद कर 1951 में आदर्श सहकारी कृषि समिति, उभा-सपही का गठन किया था।
जमीन को सिन्हा और उनके चार पारिवारिक सदस्यों के नाम पर खरीदा गया था।
उन्होंने कहा, “समिति में कुल 12 सदस्य (सिन्हा परिवार के पांच सदस्यों को मिलाकर) थे, जिनके पास कुल 1,400 बीघा जमीन थी, इसमें अन्य सात सदस्यों के नाम 400 बीघा जमीन थी।”
सिन्हा उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायन सिंह (28 फरवरी 1980 – 31 मार्च 1985) के बड़े भाई थे। इससे पहले 1949 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सिंह को नेपाल में भारत का राजदूत भी नियुक्त किया था। सिन्हा सोशलिस्ट पार्टी से राज्यसभा में तीन अप्रैल 1952 से दो अप्रैल 1956 तक सांसद भी रहे थे।
उन्होंने उन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया कि समिति बनाने वालों में वे शामिल हैं। उन्होंने कहा, “मैंने सिन्हा की बेटी आशा सिन्हा से 1959 में विवाह किया जब वे पहले से ही समिति की सदस्य थीं और जमीन का बड़ा हिस्सा उनके नाम था।”
उन्होंने कहा, “जमींदारी प्रथा के समापन और भूमि सुधार अधिनियम के बाद समिति के प्रत्येक सदस्य के पास 72 बीघा जमीन बची, जिसमें आशा तथा सिन्हा की पत्नी पार्वती देवी भी हैं। सिन्हा का 1978 में निधन होने के बाद समिति के सदस्यों ने उनकी पत्नी पार्वती देवी को समिति का अध्यक्ष चुन लिया गया।”
उन्होंने कहा, “सिन्हा की पत्नी के 1985 में निधन होने के बाद मिश्रा की बेटी विनीता शर्मा को भी 72 बीघा जमीन मिल गई। साल 2017 में मेरी पत्नी आशा और बेटी विनीता ने ऊभा और सपाई गावों में 144 बीघा जमीन यज्ञ दत्त भुरतिया को 50 लाख रुपये में बेच दी गई, जिन रुपयों को मेरी पत्नी ने शिरड़ी साई श्राइन बोर्ड में दान कर दिया।”
हालांकि गोंड आदिवासियों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे नित्यानंद द्विवेदी ने सेवानिवृत्त अधिकारी के बयान को खारिज कर दिया और समिति की ही वैधता पर सवाल खड़े कर दिए, क्योंकि सिन्हा बिहार के निवासी थे।
अधिवक्ता ने कहा, “सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम के तहत वे उत्तर प्रदेश या कहीं भी समिति का पंजीकरण नहीं करा सकते और अगर समिति का गठन जमीन की खरीद के बाद हुआ है तो इसके लिए जमीन का पट्टा या पंजीकरण या खरीद का कोई दस्तावेज जरूर होगा।”
प्रभात मिश्रा ने कहा, “मेरे पास सभी दस्तावेज हैं, लेकिन अब जब सरकार इस मामले की जांच कर रही है तो मैं इसे मीडिया से साझा नहीं करना चाहता हूं।”
सोनभद्र में 17 जुलाई को जमीन विवाद में 10 लोगों की हत्या होने के बाद अधिकारी का नाम प्रकाश में आया था।
मिश्रा ने कहा कि वे मिर्जापुर (सोनभद्र को अलग जिला बनाए जाने से पहले) में कभी तैनात नहीं थे, तो उन पर जमीन हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप आधारहीन हैं।