नई दिल्ली, 22 नवंबर – रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने सेना के लिए 155 मिलीमीटर/52 कैलिबर की तोप प्रणाली के अधिग्रहण की शनिवार को मंजूरी दे दी। यह अधिग्रहण कुल 15,700 करोड़ रुपये का होगा। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के सभी जमीनी और हवाई संवेदकों को एकीकृत करने के लिए एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) के संशोधित भुगतान कार्यक्रम को भी मंजूरी दे दी है।
टाटा संस और यूरोपीय विनिर्माता एयरबस द्वारा, अवरो विमान बेड़े के स्थान पर 56 परिवहन विमानों के विनिर्माण के लिए भरी गई संयुक्त निविदा पर और वायुसेना के लिए 106 अतिरिक्त स्विस बेसिक प्रशिक्षक विमान पर हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है।
तोप प्रणाली को अधिग्रहित करने का यह फैसला डीएसी की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने की। पर्रिकर की अध्यक्षता में डीएसी की यह पहली बैठक थी।
अधिकारी ने बताया कि 814 तोप प्रणालियों को ‘खरीदो और बनाओ (भारत)’ श्रेणी के तहत सेना के लिए खरीदा जाएगा।
उन्होंने कहा कि 814 तोप प्रणालियों में से 100 को बिल्कुल तैयार अवस्था में खरीदा जाएगा, बाकी का विनिर्माण भारत में होगा।
भारतीय सेना ने बीते 25 सालों से अधिक समय से कोई तोप नहीं खरीदे हैं। अधिकारियों ने बताया कि संशोधित भुगतान कार्यक्रम मील का पत्थर आधारित होगा, जबकि इसके पहले का भुगतान कार्यक्रम काम पूरा होने के प्रतिशत पर आधारित था। इस पूरी परियोजना की कुल लागत 7,160 करोड़ रुपये है।
अधिकारियों ने बताया कि डीएसी ने भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति पर भी चर्चा की जिसका उद्देश्य स्वदेशीकरण को बढ़वा देना है।
पर्रिकर ने जोर देकर कहा कि सरकार की नीति ‘तेज और पारदर्शी अधिग्रहण’ के लिए होंगी।