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 सृष्ट्रि के समस्त धर्मों के गुणों को हनु कहते हैं- आनंदकंद दयालू भगवान साकेतधाम में श्रीविजय लक्ष्मी मारूती लघु यज्ञ का होगा आयोजन | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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सृष्ट्रि के समस्त धर्मों के गुणों को हनु कहते हैं- आनंदकंद दयालू भगवान साकेतधाम में श्रीविजय लक्ष्मी मारूती लघु यज्ञ का होगा आयोजन

downloadडा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव दमोह/ सृष्ट्रि के जितने भी धर्म हैं उनके गुणों को ही हनु कहा गया है हम सबको लगातार अध्यन से जुडे रहना चाहिये तो आपको विभिन्न प्रकार की जानकारियां मिलती रहेंगी। यह बात प्रसिद्ध संत आनंदकंद दयालू भगवान ने स्थानीय पत्रकारों से कही। इन्होने कहा कि मनुष्य को साहित्यों से घृणा नहीं करनी चाहिये जो कि हम ईर्षा वश करते हैं। अगर आप देखेंगे कि पुराण का अंत राण में तो कुरान का अंत रान में है समस्त धर्मों के ग्रन्थों का पढना चाहिये। इन्होने एक प्रश्र के उत्तर में कहा कि श्रीविजय लक्ष्मी मारूती यह तीनों नामों से तात्पर्य हनुमान जी है हनुमान जी का नाम सुन्दर भी है तो चारूशीला के साहित्य के अनुसार लक्ष्मी भी है तो वहीं विजय और मारूती भी इन्ही का नाम है इसलिये उक्त यज्ञ के नाम में तीनों नामों का समावेश किया गया है। इन्होने बतलाया कि उक्त यज्ञ जिस समय प्रारंभ हो रहा है उस समय शनि पुष्य और पूर्णाहुति के समय शनि प्रदोष पड रहा है जो कि अद्भुत संयोग है। इन्होने कहा कि अलग-अलग मिट्टी से शिव लिंग के निर्माण का विधान बतलाया गया है जिसको विस्तार से रखते हुये कहा कि श्वेत मिट्टी के शंकर जी बनाये जायेंगे जिनकी संख्या भी 13 हजार रखी गयी है परन्तु यह सवालाख पहुंच सकती है। विस्तार से बात रखते हुये अनेक प्रश्रों के उत्तरों को प्रमाणिकता से सामने रखे। ज्ञात हो कि आनंदकंद दयालू भगवान वह संत हैं जो कि एक ही स्थान पर लगातार रहे और रामायण पाठ के साथ साधना करते हुये अध्यन करते रहे । यह कार्य उनका लगभग तीन दशक चला और इस समय तक यहां सवालाख रामायण पाठ पूर्ण किये थे। जिले के ही साकेत धाम के नाम से विख्यात क्षेत्र में यह भी विशेष बात रही कि 138 यज्ञ एक ही स्थान पर इन्ही के द्वारा पूर्ण किये जा चुके हैं एवं उक्त यज्ञ का क्रम 139 वां होगा। शनि पुष्य नक्षत्र के समय 23 नबम्बर 2013 से प्रतिदिन प्रात:काल से ही यज्ञ प्रारंभ होगा और पूर्णाहुति शनिप्रदोष 30 नबम्बर 2013 को होगी जिसमें 13 हजार घृत की आहुतियां डाली जायेंगी । वहीं इस अवसर पर यज्ञकर्ता श्रीश्री भगवान ने बतलाया कि यज्ञ विश्व की नाभि बतलायी गयी है जिसके करने से समस्त प्रकार की समस्याओं का अंत हो जाता है। वर्तमान में पराभव नाम का संवतसर चल रहा है जो नाम के अनुसार ही अपना प्रभाव छोड रहा है आप देखेंगे कि चारों ओर धनहानि,घटनाओं,दुर्घटनाओं का दौर चल रहा है। उत्तराखण्ड की त्रासदी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कहा सकता है कहने का मतलब मनुष्य ने जो विकास किया उसका क्षरण उसकी आंखों के सामने ही चंद क्षणों में हो रहा है।  संवतसरों की संख्या 100 बतलायी गयी है जिसमेंं से पराभव नामक संवतसर एक है जिसके कारण हम प्रलय के समीप कहे जा सकते हैं। इन्होने बतलाया कि समस्त बाधाओं को रोकने का एक  मात्र उपाय यज्ञ बतलाया गया है। एैसे ही पवित्र उद्ेश्य को लेकर उक्त श्रीविजय लक्ष्मी मारूती लघु यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समस्त प्राणियों के संकटों को दूर कर उन्हे विजय प्राप्ति की प्रार्थना की जायेगी। इन्होने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 1968 में यहां बनारस के एक प्रसिद्ध विद्वान पं.वेणीराम गौड एवं उनके साथ बाबूलाल काकर आये थे जिन्होने ही यज्ञ शाला का निर्माण किया था। महत्पूर्ण बात यह है कि यज्ञ शाला के प्रत्येक कुण्ड आयताकार,त्रिकोणाकार,अद्र्धवृत्ताकार,चन्द्राकार जैसे अलग-अलग आकार के होने के बाद भी राई के दाने सभी में समान रूप से आते हैं। यह यज्ञ शाला वर्की नहीं है अगर यज्ञ शाला वर्की होती है तो यज्ञमान की आयु और विकास दोनो क्षीण होती है। एक प्रश्र के उत्तर में इन्होने कहा कि घृत की आहुतियां डाली जायेंगी श्रीसूक्त के अनुसार इसकी आहुति डालने से भगवान से यह प्रार्थना की जाती है कि हमारी मनोकामना का आज से पूर्ण करें। वहीं इन्होने बतलाया कि श्वेत मिट्टी के शिव लिंगों को निर्माण भी किया जायेगा और सरसों के तेल से अभिषेक भी किया जायेगा। इस अवसर पर अध्यक्ष श्याम सुन्दर गुप्ता एवं कोषाध्यक्ष उमाशंकर चौरसिया भी उपस्थित रहे सभी लोगों ने उक्त धार्मिक आयोजन के दौरान उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने की प्रार्थना की है।

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