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 सूरजकुंड शिल्प मेला- झलक रही हिमाचली संस्कृति | dharmpath.com

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सूरजकुंड शिल्प मेला- झलक रही हिमाचली संस्कृति

February 3, 2020 6:16 pm by: Category: पर्यटन Comments Off on सूरजकुंड शिल्प मेला- झलक रही हिमाचली संस्कृति A+ / A-

नई दिल्ली, 3 फरवरी-सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का थीम स्टेट इस बार हिमाचल प्रदेश है। 34वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले की मुख्य चौपाल में 4 फरवरी को हिमाचल प्रदेश सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश जनसंपर्क की उप-निदेशक मालिनी ने सूरजकुंड मेले के संबंध में कहा, “इसमें हिमाचल प्रदेश की गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती एक विशेष नृत्य नाटिका का मंचन होगा। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगभग 140 कलाकार भाग ले रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “नृत्य-नाटिका के माध्यम से हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य तथा जीवन शैली को दर्शाया जाएगा।”

लगभग एक घंटे से अधिक समय की नृत्य-नाटिका के मंचन से पर्यटकों व लोगों को हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराया जाएगा।

मेले के तीसरे दिन सोमवार को मेला मैदान में सांस्कृतिक दलों ने दिनभर कई आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत कर हिमाचल की बहुरंगी संस्कृति की झलक दिखाई और यहां पहुंचे लोगों का मनोरंजन भी किया। सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 16 फरवरी तक चलेगा।

उप-निदेशक मालिनी ने कहा, “इस अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में हिमाचल के 70 हस्तशिल्प हथकरघा बुनकरों व कारीगरों के स्टॉल लगाए गए हैं। पर्यटन निगम के स्टाल पर हिमाचल के विभिन्न व्यंजन बनाए जा रहे हैं, जो पर्यटकों व लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।”

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक फरवरी को हरियाणा के सूरजकुंड में 34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया था।

राष्ट्रपति ने कहा था, “सूरजकुंड मेला जैसे अवसर साधारण कारीगरों और शिल्पकारों को उनके कौशल के लिए वास्तविक मान्यता और मूल्य प्रदान करते हैं। ये अवसर उन्हें ग्राहकों के सामने अपने उत्पादों का सीधा प्रदर्शन करने और बेचने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करते हैं। सूरजकुंड मेला ने भारत के विभिन्न उल्लेखनीय शिल्प परंपराओं को विलुप्त होने से बचाया है। कई कारीगरों, शिल्पकारों और बुनकरों के लिए यह मेला उनकी वार्षिक आय का प्रमुख स्रोत है।”

राष्ट्रपति का कहना था, “हमें अपने देश के कारीगरों द्वारा निर्मित की गई वस्तुओं पर गर्व महसूस करना चाहिए।” उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि बेहतर कल के लिए स्थानीय खरीदारी के दर्शन को एक आंदोलन में बदल दें।

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