नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई। यह जत्था नए मार्ग नाथू ला दर्रे से होकर गुजरेगा।
दूसरा जत्था भी गुरुवार को रवाना हुआ, लेकिन यह पुराने लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरेगा।
सुषमा स्वराज ने तीर्थयात्रियों से कहा, “जब पिछली बार मैंने यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी, मैंने यह वादा किया था हम अगले साल से तीर्थ यात्रियों के लिए नाथू ला दर्रा खोलेंगे। मुझे खुशी है कि मैंने यह वादा पूरा किया।”
कैलाश मानसरोवर हिंदू देवता शिव का निवास माना जाता है। तीर्थयात्री 19,500 फुट की ऊंचाई तक यात्रा करते हैं।
हर साल सैकड़ों लोग यात्रा पर जाते हैं, यह यात्रा चीनी अधिकारियों की निगरानी में होती है।
मंत्री ने बताया कि पुराने मार्ग से आठ जत्था रवाना होगा, जबकि नए मार्ग से पांच जत्था रवाना होगा। पुराने मार्ग के प्रत्येक जत्थे में 60 और नए जत्थे में 50 लोग होंगे।
भारत-चीन सीमा पर पूर्वी सिक्किम से तिब्बत के सबसे बड़े शहर शिगात्से के बीच नाथू ला मार्ग स्थित है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीजिंग दौरे पर समझौता हुआ था।
सुषमा ने कहा, “नए मार्ग का हमें दो लाभ है। बुजुर्ग तथा शारीरिक रूप से अक्षम लोग इस मार्ग से वाहन के जरिए यात्रा कर सकते हैं। हम और लोगों को भेज सकते हैं।”
नए मार्ग के जरिए यात्री सिक्किम के गैंगटोक से शिगात्से जा सकेंगे, जहां से वे वैन या बस लेकर मानसरोवर और कैलाश जाने वाले मार्ग पर जा सकते हैं।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा के लिए ध्वनि प्रतिक्रिया प्रणाली पेश की है।
उन्होंने कहा, “ध्वनि प्रतिक्रिया प्रणाली के जरिए हम तीर्थयात्रियों से और अधिक प्रभावी रूप से संपर्क कर पाएंगे और उनकी समस्याओं पर ध्यान दे सकेंगे।”
सुषमा ने तीर्थ यात्रियों के सुरक्षित यात्रा की कामना की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी ट्वीट किया, “पवित्र तीर्थयात्रा की शुरुआत हो गई।”
पुराने मार्ग के जरिए प्रत्येक यात्री के जाने का खर्च 1.5 लाख रुपये तथा नए मार्ग से 1.7 लाख रुपये है।