नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को ब्रिटिश अधिकारियों से यात्रा दस्तावेज उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की मदद से इंकार के बावजूद राज्यसभा में गतिरोध सोमवार को भी जारी रहा।
इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने अन्य मुद्दों को भी उठाया। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा लिखित जवाब में देश में किसानों की खुदकुशी के लिए प्रेम संबंध व नामर्दी को कारण बताने के मुद्दे को भी उठाया गया।
सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा, “ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए मैंने कभी ब्रिटिश सरकार से अनुरोध नहीं किया।”
मुद्दे को कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री ने उठाया। उन्होंने कहा, “सदन के नेता अरुण जेटली ने सुषमा को बयान देने के लिए कहा। यह सभापति की मंजूरी लिए बिना की गई। यह कार्यसूची में शामिल नहीं था। यह नियमों का उल्लंघन है।”
मिस्त्री ने कहा, “अरुण जेटली ने सुषमा स्वराज को बयान देने के लिए कहा। यह सभापति की मंजूरी के बिना दी गई। यह कार्यसूची में शामिल नहीं थी। यह नियमों का उल्लंघन है।”
सत्तापक्ष ने तत्काल पलटवार करते हुए कहा कि मंत्री ने बीते दो सप्ताह से अपने ऊपर लग रहे आरोपों का जवाब दिया है।
इस पर सदन के उपसभापति ने सवाल किया कि यह बयान था या केवल आरोपों पर प्रतिक्रिया।
कुरियन ने कहा, “सवाल यह है कि उन्होंने कोई बयान दिया है या आनंद शर्मा ने जो भी कहा उस पर प्रतिक्रिया जताई।”
कांग्रेस सदस्यों के हंगामे से गुस्साए उपसभापति ने यह सवाल भी किया कि विपक्ष सरकार से नियमों के उल्लंघन के बारे में क्यों सवाल कर रही है, जब खुद उनके सदस्य नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “आप आसंदी के निकट आते हैं, तख्तियां लहराते हैं और कहते हैं कि मंत्री ने यह बिना मंजूरी के की।”
विपक्ष के तर्को पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जेटली ने कहा, “बीते दो सप्ताह से निराधार बयान दिए जा रहे हैं। क्या मंत्री को कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करनी चाहिए? क्या बिना सभापति की मंजूरी के प्रतिदिन बोलना सदन का विशेषाधिकार नहीं है?”
इसके बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह सदन के विशेषाधिकार का मुद्दा है।
जेटली ने कहा, “मंत्री (सुषमा स्वराज) के तीन मिनट की प्रतिक्रिया के बाद विपक्ष निरूत्तर हो गई है। जब विस्तृत बयान आएगा, तब वे बोलने लायक भी नहीं रह जाएंगे।”
एक लंबे व गरमागरम नोकझोंक के बाद उपासभापति ने कहा कि अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देने का अधिकार मंत्री के पास है और स्पष्टीकरण बयान नहीं होता।
कुरियन ने कहा, “किसी भी बयान के लिए मंजूरी की जरूरत होती है। लेकिन जब वह प्रतिक्रिया होती है, तो उसे व्यक्त करने का मंत्री या सदस्य को अधिकार होता है।”
इसके तुरंत बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी खड़े हुए और मानसून सत्र के पहले दिन जेटली के उस बयान को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह (येचुरी) टेलीविजन पर आने के लिए सदन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस बीच जनता दल युनाइटेड (जद-यू) नेता के.सी.त्यागी ने कहा कि कृषि मंत्री को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में किसान नामर्दी, दहेज व प्रेम संबंधों के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
विपक्षी सदस्यों ने उस मुद्दे को भी उठाया, जिसमें पिछले सप्ताह उसकी स्वीकृति से पहले ही नोटिस को सार्वजनिक कर दिया था।
जेटली ने कहा कि नोटिस को स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं इसके लिए चर्चा में इस्तेमाल के लिए नोटिस को सभी सदस्यों में प्रसारित किया जाना था।
कांग्रेस ने तख्तियां लहराते हुए प्रधानमंत्री को चुप्पी तोड़ने तथा कथित भ्रष्ट नेताओं को बाहर निकालने की मांग की।
कांग्रेस ने ‘मौन मोदी चुप्पी तोड़ो’ के नारे लगाए, जिसके बाद कुरियन ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई को शुरू हुआ, कई स्थगनों के बाद भी कार्यवाही नहीं चल पाई है। सत्र 13 अगस्त तक जारी रहेगा।