पेरिस, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थाई सदस्यता की जोरदार दावेदारी पेश करते हुए यहां कहा कि भारत अपनी पक्षधरता का आग्रह नहीं कर रहा, बल्कि स्थाई सदस्यता भारत का हक है।
मोदी ने कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध में अपने 75,000 सैनिकों की जान का बलिदान देने, संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में बड़ा योगदान देने और बुद्ध, महात्मा गांधी जैसी महान हस्तियों की जन्मभूमि होने के नाते यह भारत का हक है।
फ्रांस की राजधानी में प्रवासी भारतीय समुदाय की ओर से उनके सम्मान में शनिवार को आयोजित समारोह के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “मैं दुनिया से अपील करता हूं कि जब इस वर्ष प्रथम विश्वयुद्ध का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है तो इस मौके का लाभ महात्मा गांधी और बुद्ध की धरती को उसका हक देने के लिए भी उठाया जाना चाहिए। अब वह समय नहीं रहा जब भारत मदद के लिए आपकी ओर देखता था, आज भारत अपना हक मांगता है।”
मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के दूसरे एवं अंतिम दिन कारुसेल डू लौवरे में आयोजित समारोह में कहा, “भारत शांतिपूर्ण देश है और विश्व में शांति के लिए मदद करता है, फिर भी हम यूएनएससी की स्थाई सदस्यता पाने के लिए तरस रहे हैं।”
मोदी ने कहा कि वर्ष 2015 को प्रथम विश्व युद्ध के शताब्दी वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। भारत ने 14 लाख सैनिकों को जंग में भेजा था, जबकि यह हमारी लड़ाई नहीं थी। हमने अपने 75,000 जवान खो दिए थे।
मोदी ने इससे पहले नुवुवे चैपल स्थित प्रथम विश्व युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के स्मारक पर उनको श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान के तहत दुनियाभर में तैनात सुरक्षा बलों में भारत का बड़ा योगदान रहा है। भारत ने अपने 8,000 सैनिक इस अभियान में भेजे हैं, जो 16 में से 10 संकटग्रस्त देशों में तैनात हैं। भारतीय सैनिक अपने अनुशासन, शौर्य और बुद्धिमता के लिए जाने जाते हैं।
मोदी ने बीते साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी की बात उठाई थी।