मनेसर (हरियाणा), 30 अगस्त (आईएएनएस)। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) दिशानिर्देश के दायरे में आने वाली कंपनियां सितंबर से अपनी सामाजिक गतिविधियों की रपट सार्वजनिक करने लगेंगी और इससे कंपनियों तथा गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बीच आपसी विश्वास बढ़ेगा।
मनेसर (हरियाणा), 30 अगस्त (आईएएनएस)। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) दिशानिर्देश के दायरे में आने वाली कंपनियां सितंबर से अपनी सामाजिक गतिविधियों की रपट सार्वजनिक करने लगेंगी और इससे कंपनियों तथा गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बीच आपसी विश्वास बढ़ेगा।
कंपनियों और एनजीओ के बीच अविश्वास की खाई काफी चौड़ी है। अधिकतर कंपनियां एनजीओ की कार्यान्वयन क्षमता और नैतिक तरीकों पर भरोसा नहीं कर पाती हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भास्कर चटर्जी ने यहां आईएएनएस से कहा, “नए कानून से कंपनियों, एनजीओ और सरकार के बीच सहयोग तथा उनके काम-काज में पारदर्शिता बढ़ेगी।”
चटर्जी ने कहा कि सरकारी आंकड़ों से एनजीओ को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किस क्षेत्र में उनकी सर्वाधिक जरूरत है। कंपनियों को जहां परियोजनाओं को कम से कम खर्च में सफल बनाने में महारथ हासिल है, वहीं एनजीओ को समाज के उस वंचित तबकों की जानकारी है और उन्हें काम काज में पारदर्शिता रखने का भी अनुभव है। यदि कंपनी, एनजीओ और सरकार में आपसी तालमेल और विश्वास और सहयोग बढ़ जाए, तो सामाजिक कार्यक्रमों को तीव्र कार्यान्वयन और व्यापक प्रभाव वाला बनाया जा सकेगा।
संशोधित कंपनी कानून 2013 की धारा 135 के तहत बनाई गई नई सीएसआर नियमावली पिछले वर्ष एक अप्रैल से प्रभावी हो गई है। इसके दायरे में आने वाली कंपनियों के लिए शुद्ध लाभ का दो फीसदी हिस्सा सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य बनाया गया है।
एक अनुमान के मुताबिक, 2014-15 में कंपनियों ने सीएसआर गतिविधियों में करीब 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
चटर्जी के मुताबिक, अभी लगभग 14 से 16 हजार कंपनियां इसके दायरे में आती हैं।
चटर्जी ने कहा, “खर्च का वास्तविक आंकड़ा तब सामने आएगा, जब कंपनियां सीएसआर गतिविधियों की रपट सितंबर से सार्वजनिक करने लगेंगी।”