उज्जैन, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ मेला क्षेत्र में बढ़ती गंदगी ने प्रशासन और सरकार, दोनों को मुसीबत में डाल दिया है। चरमराई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने का अभियान मंगलवार से तेज कर दिया गया।
सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष दिवाकर नातू ने आईएएनएस को बताया कि मेला क्षेत्र में गंदगी बढ़ने से कई तरह की समस्याएं बढ़ने की आशंका थी, इसके चलते उनकी ओर से सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की पहल कई बार की गई। उसके बाद सोमवार को अफसरों की बैठक हुई और मंगलवार को सफाई व्यवस्था में कुछ सुधार नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में सफाई व्यवस्था और दुरुस्त हो जाएगी, क्योंकि सभी जिम्मेदार लोग अपने काम में जुट गए हैं।”
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था में लगे अफसरों की सोमवार की देर रात को आकस्मिक बैठक नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई थी। बैठक में अफसरों ने स्वीकारा कि मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था का काम पूर्व में तय कार्य योजना के अनुरूप नहीं हो रहा है।
ज्ञात हो कि सिंहस्थ आयोजकों द्वारा दिसंबर 2015 में आयोजन को लेकर एक दृष्टिपत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सिंहस्थ के दौरान सामान्य दिनों में शहरी क्षेत्र में 300 मीटिक टन और मेला क्षेत्र में एक हजार से 12 सौ मीट्रिक टन कचरा निकलेगा, वहीं शाही स्नान के दिन दो से ढाई हजार मीट्रिक टन कचरा निकल सकता है। इस कचरे के निष्पादन के लिए दो मैदान आरक्षित किए गए हैं।
पूर्व में तैयार की गई सफाई व्यवस्था की योजना के मुताबिक, मेला क्षेत्र में 5000 सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं। कचरा संग्रहण के लिए 60 लीटर क्षमता के 500 डस्टबिन संपूर्ण मेला क्षेत्र में रखे गए हैं। इनके अलावा 700 हैंडकार्ट कंटेनर और छोटे आकार के 800 कंटेनर की व्यवस्था मेला क्षेत्र में है। इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए 34 हजार शौचालय, 15 हजार स्नानघर और 10 हजार मूत्रालय बनाए गए हैं। इतना कुछ होने के बाद भी सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार की शाम मेला क्षेत्र में पहुंचे थे। साधु-संतों ने उनके समक्ष भी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया था। उसके बाद रात में हुई बैठक में अफसरों ने सफाई व्यवस्था की समीक्षा की।
बैठक में तय किया गया कि 3500 हाउस किपिंग कर्मचारी शौचालय उपयोग करने वाले अगले व्यक्ति के उपयोग के लिए शौचालय पूरी तरह तैयार करेंगे। इसके अलावा पांच हजार कर्मचारियों का सेक्टर में भरपूर उपयोग किया जाएगा।
इनमें भाग एक- कालभैरव व मंगलनाथ जोन में दो हजार और भाग दो- दत्त अखाड़ा व महाकाल जोन में तीन हजार कर्मचारी पदस्थ किए गए हैं। इनकी उपस्थिति को शौचालय के संभावित उपयोग के समय सुबह 6़ 30 बजे और शाम 7़ 30 बजे बायोमेट्रिक के द्वारा अनिवार्य किया गया है। इतना ही नहीं, नगर निगम के दो अपर आयुक्तों को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सिंहस्थ कुंभ के पहले दिन और शुरुआती चार दिनों में श्रद्धालु उतनी संख्या में नहीं पहुंचे, जितने का अनुमान लगाते हुए प्रशासन ने सफाई व्यवस्था की है, फिर भी व्यवस्था गड़बड़ाने लगी है।