संदीप पौराणिक
उज्जैन, 1 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में दूसरा शाही स्नान 9 मई को होना है। यह राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि पहले शाही स्नान के दौरान रही अव्यवस्था से तमाम अखाड़ों के साधु-संत नाराज हैं, वे मेला क्षेत्र छोड़ने तक की चेतावनी दे चुके हैं।
उज्जैन में इस शताब्दी के दूसरे सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत 22 अप्रैल को पहले शाही स्नान से हुई थी। इस शाही स्नान के दौरान फैली अव्यवस्थाओं ने मेला को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने वाले अमले से लेकर सरकार तक को कटघरे में खड़ा कर दिया था।
पहले शाही स्नान के दिन एक तरफ जहां श्रद्धालुओं की कमी खलने लायक थी, तो दूसरी ओर अखाड़ों के साधु-संतों के सबसे पहले स्नान की परंपरा को भी प्रशासन ने तार-तार कर दिया था। इस पर साधु-संत जमकर भड़के थे और इसी का नतीजा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अखाड़ा परिषद के साधु-संतों को मनाने के लिए उज्जैन पहुंचना पड़ा।
अव्यवस्थाओं को लेकर साधु-संतों की नाराजगी का ही नतीजा था कि राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव को देर रात अफसरों की बैठक लेकर सफाई व्यवस्था की समीक्षा कर अफसरों को सख्त हिदायतें देना पड़ी थी। सफाई व्यवस्था में सुधार के प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं।
एक तरफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए गए हैं, वहीं वाहनों की आवाजाही पर लगी रोक को हटा दिया गया है, ताकि श्रद्धालु क्षिप्रा नदी के घाटों तक आसानी से पहुंच सकें। पहले शाही स्नान के दौरान वाहनों को काफी पहले रोक दिया गया था। इस कारण श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर तक का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ा था।
पहले शाही स्नान की व्यवस्थाओं से नाराज साधु-संतों को खुश करने के लिए प्रशासन ने दूसरे शाही स्नान के लिए विशेष रणनीति बनाई है। जिलाधिकारी कवींद्र कियावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया है कि सभी अखाड़ों को शाही स्नान का विशेष निमंत्रण दिया जाएगा, फूल-मालाएं पहनाकर उनका स्वागत होगा।
जिन मार्गो से अखाड़ों का काफिला निकलेगा, उन्हें साफ -सुथरा रखा जाएगा। इतना ही नहीं, कुछ चिह्न्ति साधु-महात्माओं को चांदी के सिक्के देकर सम्मानित किया जाएगा।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी प्रशासन को पहले ही व्यवस्थाओं में सुधार के लिए चेतावनी दे चुके हैं। अखाड़ा परिषद के बाद से प्रशासन और सरकार दोनों सकते में हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री चौहान लगातार उज्जैन की व्यवस्थाओं पर खुद नजर बनाए हुए हैं और प्रशासन को चेता भी रहे हैं।
प्रशासन के लिए दूसरा शाही स्नान निर्विघ्न और अखाड़ों की मंशा को पूरा करना बड़ी चुनौती है, क्योंकि अगर साधु-संत नाराज हो गए तो उन्हें मनाना कठिन हो जाएगा। यही कारण है कि प्रशासन किसी भी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं है, और बड़े अफसर छोटों की नकेल कसने में ही अपना सारा समय लगा रहे हैं।