मॉन्ट्रियाल, 29 जनवरी (आईएएनएस)। रचनात्मकता सभी में एकसमान नहीं होती, और इसका कारण यह है कि सृजनशीलता का संस्कृति से बेहद करीबी संबंध है। कोंकोर्डिया विश्वविद्यालय द्वारा करवाए गए एक नए अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलकर आया है।
ताइवान के सामूहिक समाज के और कनाडा के व्यक्तिवादी समाज के करीब 300 व्यक्तियों पर यह अध्ययन किया गया।
परिणाम दर्शाता है कि व्यक्तिवादी समुदाय के लोग सामूहिक तौर पर रहने वाले अपने समकक्षों के मुकाबले कहीं अधिक रचनात्मक होते हैं। हालांकि, जब बात रचना की गुणवत्ता की आती है तो दोनों समाजों की संस्कृतियां एक जैसा परिणाम देने वाली साबित होती हैं।
कोंकोर्डिया के जॉन मोल्सन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर गैड साड ने कहा, “हमने पाया कि व्यक्तिवादी समाज में रहने वाले लोग कहीं अधिक रचनाएं करते हैं, साथ ही वे नकारात्मक बातों में भी आगे रहते हैं तथा उनके बयानों में कहीं अधिक नकारात्मकता रहती है। दूसरी ओर वे अत्यधिक आत्मविश्वासी भी होते हैं।”
ताइपे और मॉन्ट्रियाल विश्वविद्यालय के छात्रों की मदद से यह अध्ययन किया गया।
अध्ययन में कहा गया है कि जब बात रचना की गुणवत्ता की आती है तो समूह में रहने वाले समाज के लोगों का प्रदर्शन व्यक्तिवादी समाज के लोगों से मामूली अधिक निकला।
साड ने स्पष्ट किया, “हमारे अध्ययन से निकला निष्कर्ष संस्कृति को लेकर उस प्रचलित अवधारणा के करीब ही है, जिसके अनुसार, समूह के तौर पर रहने वाले समाज रचनात्मकता के मामले में समृद्ध होते हैं तथा रचना करने से पहले गहन चिंतन करते हैं।”
लेखक ने अपने अध्ययन के निष्कर्ष में कहा है कि इस प्रकार का अध्ययन उस सांस्कृतिक भिन्नता को समझने में अहम है जो पूर्व एशिया की ओर आर्थिक केंद्र खिसकने से लगातार बढ़ रहा है।
यह शोध-पत्र वाणिज्यिक शोध पत्रिका ‘बिजनेस रिसर्च’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।