नई दिल्ली, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने बुधवार को सरकार से अपील की कि वह संसदीय समिति की उस रपट पर अपना रुख स्पष्ट करे, जिसमें सांसदों का वेतन बढ़ाने की सिफारिश की गई है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस विषय पर मीडिया के दबाव के कारण नहीं बोल रही है।
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता ने यह मुद्दा उठाया, जिसका नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने समर्थन किया।
अग्रवाल ने कहा, “सांसदों के वेतन व भत्ते पर फैसला लेने वाली संसदीय समिति ने एक रपट दी थी, जिसे मीडिया के दबाव के कारण दबा दिया गया है।”
उन्होंने कहा, “कई सांसद वेतन में बढ़ोतरी चाहते हैं, लेकिन डर से कुछ बोल नहीं रहे हैं। क्या सरकार रपट की सिफारिशों को स्वीकार करने पर विचार कर रही है।”
सांसद ने कहा, “इस वेतन से क्या आप तीन जगहों का खर्च चलाने की उम्मीद करते हैं? यह असंभव है। मीडिया क्या लिख रहा है, उस पर ध्यान मत दीजिए।”
उपसभापति पी.जे.कुरियन ने हालांकि कहा कि सवाल है कि अपने वेतन के बारे में सांसदों को खुद फैसला लेना चाहिए या नहीं।
अग्रवाल का समर्थन पाते हुए आजाद ने कहा, “विपक्ष के अपने साथी का मैं समर्थन करता हूं, खासकर सांसदों की अगुवाई के मुद्दे पर। महंगाई से सभी प्रभावित हुए हैं, सांसद भी।”
उन्होंने कहा, “वे सही बोल रहे हैं। हम मीडिया के दबाव में हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादकों के वेतन का एक-चौथाई हमारे लिए पर्याप्त होगा।”
उल्लेखनीय है कि लोकसभा तथा राज्यसभा की संयुक्त समिति ने एक रपट तैयार की है, जिसके मुताबिक सांसदों का मौजूदा वेतन 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने, भत्ता 45 हजार रुपये से बढ़ाकर 90 हजार रुपये तथा सचिवालय सहायता व कार्यालय भत्ता 45 हजार रुपये से बढ़ाकर 90 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है।
सिफारिशों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। समिति ने पेंशन में लगभग 75 फीसदी की बढ़ोतरी तथा सांसदों की वेतन बढ़ोतरी के लिए एक स्वचालित तंत्र के निर्माण की भी सिफारिश की है।