नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह ने शनिवार को कहा कि उन्हें विदेश मंत्रालय में उनके कार्यरत सहयोगियों से ढेर सारे समर्थक संदेश मिल रहे हैं। तीन दिनों पूर्व सुजाता को आनन-फानन में सरकार ने पद से हटा दिया, जबकि उनके कार्यकाल के कुछ महीने शेष बचे थे।
नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह ने शनिवार को कहा कि उन्हें विदेश मंत्रालय में उनके कार्यरत सहयोगियों से ढेर सारे समर्थक संदेश मिल रहे हैं। तीन दिनों पूर्व सुजाता को आनन-फानन में सरकार ने पद से हटा दिया, जबकि उनके कार्यकाल के कुछ महीने शेष बचे थे।
दो वर्ष के कार्यकाल को समाप्ति से सात माह से पहले ही ‘समाप्त’ कर दिए जाने के बाद अपने दूसरे टीवी साक्षात्कार में बुधवार की रात सुजाता ने इस कदम को ‘मूर्खतापूर्ण’ भी कहा। मीडिया रिपोर्टो में दावा किया गया है कि कुछ नीतिगत फैसलों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय उनसे नाराज था।
हेडलाइंस टुडे को सुजाता ने कहा, “मुझे संदेश देने वाले सभी पुरुषों और औरतों को धन्यवाद। सहयोगियों से इमेल, मैसेज और फोन कॉल पर मुझे ढेर सारा समर्थन मिला है।”
सुजाता की जगह एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाया गया है। जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे। सुजाता ने कहा कि विदेश सचिव के रूप में काम करते हुए अपने कार्यकाल में जो कुछ उन्होंने किया उनमें से कई पर उन्हें गर्व है।
उन्होंने कहा, “कई चीजों पर मुझे गर्व है। मैंने प्रशासन को एक मानवीय चेहरा दिया है। प्रणाली को पारदर्शिता दी है। मैं अधिकारियों से बात करना पसंद करती थी।”
उन्होंने कहा कि वे नहीं सोचती कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके कामकाज को लेकर किसी भी तरह से नाराज थे और उनकी प्रधानमंत्री से बिना लागलपेट बातें होती थी, कभी तो एक ही दिन में तीन बार।
उन्होंने कहा कि करीब तीन सप्ताह पहले जब उन्होंने निश्चित कार्यकाल के साथ दूसरी जिम्मेवारी के बारे में सुना तब उन्होंने इंकार करते हुए कहा था, “मैंने कहा था कि जिस दिन आप मुझसे जाने को कहेंगे तो मुझे बताएं मैं अपना पत्र आपके सामने पेश करूंगी।”
उन्होंने बताया कि जब मोदी सरकार ने पूर्व सरकार के समय के सचिवों में फेरबदल की थी तब ‘अनिश्चिता का माहौल’ बन गया था। लेकिन उन्होंने इसे और स्पष्ट करने से मना कर दिया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपने रिश्ते के बारे में पूछे जाने पर सुजाता ने कहा कि विदेश मंत्री के साथ उनका रिश्ता ‘बेहतर’ था। उन्होंने कहा, “मैं उनके प्रति समर्पित थी और हम एकदूसरे को अच्छी तरह समझते थे।”
इजरायल पर मतदान से पहले मीडिया में आई रिपोर्ट को पूरी तरह असत्य करार देते हुए सुजाता ने कहा कि इजरायल या फिलिस्तीन को लेकर भारतीय नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।