नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऐसी कंपनियों की सूची मांगी है, जो 500 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चुकाने में असफल रहे हैं या जिनके ऋण को कारपोरेट ऋण पुनर्गठन योजना के अंतर्गत पुनर्गठित किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश जीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरबीआई को इससे संबंधित हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा कि सूची मोहर बंद लिफाफे में पेश की जाए।
एक वकील द्वारा कंपनियों की वाणिज्यिक गोपनीयता का जिक्र किए जाने के बाद पीठ ने सूची मोहरबंद लिफाफे में देने के लिए कहा।
अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में हुडको द्वारा 2003 में कथित रूप से कुछ अयोग्य कंपनियों को ऋण दिए जाने का मामला उठाया गया है।