नई दिल्ली, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जहां सुधार पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प दोहराया, वहीं केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने को लेकर चिंता की स्थिति नहीं है।
13वें हिंदुस्तान टाइम्स लीटरशिप समिट में मोदी ने कहा कि सुधार का संबंध सिर्फ बड़े निवेश और विनिवेश की घोषणाओं से नहीं है। उन्होंने कहा कि सक्षम होकर, सब्सिडी को बेहतर लक्षित कर और नेक इरादों को अमलीजामा पहनाकर भी आर्थिक लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
सम्मेलन में यहां मोदी ने सरकार की सोच और दिशा पर रोशनी डाली।
मोदी ने उद्योगपतियों की उम्मीदों का जिक्र किया और संकेत दिया कि बिना सुर्खियों में आए और सामाजिक तनाव पैदा किए बदलाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के लिए भी काम कर रही है।
100 शहरों में एलईडी बल्बों के उपयोग की कोशिश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे 21,500 मेगावाट बिजली की बचत होगी।
उन्होंने कहा कि इतनी बिजली पैदा करने के लिए सवा लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। यदि इस निवेश की घोषणा की जाए, तो वह अखबार की सुर्खी बन जाएगी।
उन्होंने कहा, “एलईडी से हर साल 45 हजार करोड़ रुपये की भी बचत होगी। आप सोच सकते हैं कि किस तरह बदलाव आ रहा है।”
उन्होंने कहा कि रसोई गैस आपूर्ति को नकद सब्सिडी भुगतान से जोड़ने से सब्सिडी के करोड़ों रुपये का बचत होने लगा है।
उन्होंने कहा, “हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है। हम लक्ष्य को अलग तरह से भी हासिल कर सकते हैं।”
दो दिवसीय सम्मेलन का थीम है- क्या भारत दुनिया का चमकता हुआ स्थान बन सकता है।
मोदी ने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती कायम है। यूरो जोन की विकास दर 1.5 फीसदी है। चीन के बारे में पिछले कुछ समय से काफी कुछ सुना जा चुका है।”
उन्होंने कहा, “विकास को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।”
80 हजार करोड़ रुपये की यूरिया सब्सिडी के बारे में मोदी ने कहा कि गैर-कृषि कार्यो में यूरिया का उपयोग रोकने के लिए इस पर नीम की कोटिंग की जा रही है। इससे सब्सिडी का बड़ा खर्च बचेगा।
उन्होंने कहा कि 85 में से 65 लंबित परियोजनाएं चालू हो गई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र के दाभोल बिजली संयंत्र से मध्य रेल को बिजली मिलना शुरू हो गया है।
उन्होंने कहा कि कोयले की आपूर्ति की बाधा दूर होने से बिजली उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, “जब तक बंदरगाहों को रेल से नहीं जोड़ा जाता हम वैश्विक रूप से प्रतियोगी नहीं हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि सुधारवादी कहेंगे कि सरकारी कंपनियों का विनिवेश होना चाहिए और जब आप ऐसा करेंगे, तो कामगार उसका विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि क्षमता बढ़ाने का अन्य विकल्प है कंपनियों का कॉरपोरेटीकरण करना और कंपनियों के संचालन से राजनीति दूर करना।
जेटली ने अपने वक्तव्य में कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत मिल रहे हैं, इसलिए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) और वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बावजूद सरकार वित्तीय घाटा के लक्ष्य को लेकर चिंतित नहीं है।
जेटली ने कहा, “साधारणत: जब वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाती हैं, तो बढ़े हुए वेतन और पेंशन इस मद में आम तौर पर पालन की जाने वाली 2.5 फीसदी बजटीय सीमा पर दबाव डालते हैं।”
जेटली ने कहा, “यह दबाव शुरुआती दो-तीन साल में बढ़ेगा। पर चूंकि अर्थव्यवस्था में भी विस्तार हो रहा है, जिसके साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधार भी बड़ा हो रहा है, इसलिए खर्च वहन करने की सरकार की क्षमता भी बढ़ रही है।”