चेन्नई, 19 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाना चाहती है, ताकि किसी तरह का विरोधाभास न रहे और बजट से संबंधित प्रस्तावों में पारदर्शिता लाने के लिए भी प्रयासरत है।
भारतीय औद्योगिक परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक समारोह में जेटली ने कहा, “सरकार की नीति कर प्रणाली को विरोधाभास मुक्त तर्कसंगत बनाने की है। हम बजट संबंधित प्रस्तावों को पारदर्शी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। राजकोषीय घाटे को छिपाया नहीं जाएगा।”
रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में रेपो दर घटाने पर उन्होंने कहा कि दरों में कटौती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में सरकार का ध्यान निवेश, विनिर्माण और आधारभूत संरचना पर रहेगा।
जेटली के अनुसार भारत अपनी प्रतियोगी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर कर रहा है।
रियायतों को तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए जेटली ने कहा कि वह व्यय आयोग के सुझावों पर विचार कर रहे हैं।
जेटली ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) दल की पिछली सरकार की विरोधाभासी कर नीति के कारण निवेशक यहां निवेश करने से कतराते थे।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की नीति मौजूदा संसाधनों के वितरण तक सीमित थी और उनका ध्यान उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर बिल्कुल नहीं था।
जेटली ने कहा कि लोग वहां निवेश नहीं करना चाहते जहां भ्रष्टाचार हो, हालांकि विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाने के सवाल को जेटली टाल गए।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की प्राथमिकता शुरुआती चरण में संस्थानों के प्रति विश्वसनीयता कायम करना रहेगा।
भाजपा सरकार के अध्यादेश के जरिए कानून बनाने के संदर्भ में जेटली ने कहा ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, क्योंकि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के काम पर अप्रत्यक्ष तौर पर चुने गए प्रतिनिधि (राज्यसभा) लगातार सवाल उठा रहे हैं।
रक्षा उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी देने के कारण हो रही आलोचनाओं पर जेटली ने कहा कि रक्षा जरूरतों का 70 फीसदी विदेशों से मंगाना कहां तक सही है।
जेटली ने कहा, “रक्षा उपकरणों के रूप में विनिर्माण का नया क्षेत्र शुरू हुआ है।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।