उन्होंने कहा कि उनकी संस्था आरएसएस-भाजपा के इस षड्यंत्र का पदार्फाश करने और समाजवाद तथा सामाजिक सद्भाव के पक्ष में जनमत बनाने के लिए पुस्तकें प्रकाशित कर वितरित करेंगी।
विधायक निवास स्थित सभाकक्ष में आयोजित समाजवादी चिंतन सभा में उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों में मुसलमानों व अल्पसंख्यकों की देशभक्ति के वृत्तांत का सजीव चित्रण होगा।
मिश्र ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हिंदुओं जितनी भूमिका मुसलमानों व सिखों की भी रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी व हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन का इतिहास है।
उन्होंने कहा कि पंडित रामप्रसाद बिस्मिल से अशफाकउल्ला खान तथा चंद्रशेखर आजाद से भगत सिंह के इतिहास व गाथाओं को अलग कर दिया जाए तो कुछ भी शेष नहीं रहेगा। स्वार्थ व सत्ता के लिए मुसलमानों की देशभक्ति पर सवालिया निशान लगाने वाले लोग देश के सच्चे शुभैषण या हितैषी नहीं हो सकते।
मिश्र ने कहा कि भारतीय मुसलमान भारतीय हिंदुओं की भांति ही शत-प्रतिशत भारतीय हैं। दिलों में दरार पैदा करने वाली विषाक्त सियासत का प्रत्युतर चिंतनशील समाजवादी पुस्तक व संगोष्ठियों की श्रंखला से देंगे, जिसकी पूरी तैयारी हो चुकी है।
उन्होंने निजी अनुभवों के आधार पर बताया कि भारत के प्रति अरब में रह रहे भारतीय मुसलमानों की आंखों में वही सम्मान-भाव देखा है जो मारीशस में रह रहे हिंदुओं की आंखांे में है।
मिश्र ने कहा कि रहीम खानसामा, अजीमुल्ला खान से लेकर शहीद अब्दुल हमीद व कलाम तक देशभक्त मुसलमानों की लंबी परंपरा है, इसे अवमानित करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, साध्वी प्राची, साक्षी महाराज जैसे लोगों की विषाक्त वाणी पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रहस्यमयी चुप्पी स्वाभाविक संदेह पैदा करती है। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिन इंसानियत के लिए और ज्यादा बुरे होंगे।
बैठक में समवेत स्वर से सांप्रदायिकता विरोधी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया और तय किया गया कि संघी षड्यंत्रों का प्रत्युत्तर समाजवादी साहित्य से दिया जाएगा।