‘यूनीकोड’ प्रशिक्षण शुरू, 14 अगस्त तक सभी विभाग को मिलेगा प्रशिक्षण
वर्तमान में प्रचलित अलग-अलग फॉन्ट में एकरूपता लाने के उद्देश्य से राज्य शासन ने यूनीकोड को अपनाने के निर्देश दिये हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी किया है। साथ ही मुख्य सचिव ने भी निर्देश जारी कर दिये हैं कि शासकीय दस्तावेजों में यूनीकोड का उपयोग हो।
इसी उद्देश्य से सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रशिक्षण की शुरूआत की है। प्रशिक्षण आज से शुरू किया गया, जो 14 अगस्त तक चलेगा। प्रत्येक दिन अलग-अलग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित उनके कर्मचारियों को यूनीकोड में कार्य करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
आज का प्रशिक्षण सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को दिया गया। इस मौके पर सचिव श्री हरिरंजन राव और अवर सचिव श्री सुधीर कोचर भी मौजूद थे।
यूनीकोड
यूनीकोड एक तकनीक है। कम्प्यूटर मूल रूप से नम्बर्स से संबंध रखता है। कम्प्यूटर नम्बर्स पर ही आधारित है। यूनीकोड तकनीक भी इन्हीं नम्बर्स पर आधारित है। यूनीकोड तकनीकी में विश्व-स्तर पर एवं प्रचलित लिपि के वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के लिये 4 अंक का यूनीकोड दिया गया है।
वर्तमान में प्रचलित फॉन्ट कृतिदेव, देवलिसिस सहित अन्य फॉन्ट सिस्टम स्पेस्फिक होने के कारण यह फॉन्ट जिस सिस्टम में इंस्टाल होते हैं, संबंधित भाषा में टाइप किया गया मेटर उसी में दिखाई देता है। कम्प्यूटर सिस्टम में वह फॉन्ट नहीं होने पर अंग्रेजी भाषा में गारबेज की तरह दिखाई देता है और अपठनीय होता है। इसके लिये संबंधित फॉन्ट या उसी श्रेणी का दूसरा फॉन्ट इन्सटॉल करना पड़ता है।
यूनीकोड तकनीक विश्व की सभी लिपिें से सभी संकेत के लिये एक अलग-अलग कोड बिन्दु देता है, जो एक ही फॉन्ट में उपलब्ध रहती है। जैसे एरियल यूनीकोड, मंगल, अक्षत यूनीकोड, अपराजिता आदि। यूनीकोड तकनीकी आधारित फॉन्ट में टाइप किया गया मेटर आपके सिस्टम में फॉन्ट हों या न हों, उसी भाषा की लिपि में दिखाई देगा और पढ़ने योग्य भी होगा। यदि आपका कम्प्यूटर यूनीकोड तकनीकी अनेबल्ड नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में डिब्बे-डिब्बे प्रदर्शित होंगे। यूनीकोड अनेबल्ड करने पर मेटर संबंधित भाषा की लिपि में दिखाई देगा और सिस्टम यूनीकोड के लिये अनेबल्ड भी हो जायेगा।
यूनीकोड के लाभ
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एक ही दस्तावेज में अनेक भाषा के टेक्स्ट लिखे जा सकते हैं।
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टेक्स्ट को केवल एक निश्चित तरीके से संस्कारित करने की जरूरत पड़ती है। इससे विकास खर्च एवं अन्य खर्चे कम लगते हैं।
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इसी सॉफ्टवेयर उत्पाद का एक ही संस्करण पूरे विश्व में चलाया जा सकता है। क्षेत्रीय बाजारों के लिये अलग से संस्करण निकालने की जरूरत नहीं पड़ती।
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किसी भी भाषा का टेक्स्ट पूरे सँसार में बिना गारबेज हुए देखा जा सकता है।