ग्वालियर, 8 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन विदसीय बैठक यहां शुक्रवार को शुरू हो गई। इस बैठक में सबरीमला मंदिर मामले और परिवार व्यवस्था पर चर्चा के साथ प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।
यहां के केदारधाम स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में बैठक का शुभारंभ सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने किया। तीन दिनों तक चलने वाली प्रतिनिधिसभा की जानकारी देते हुए सह सरकार्यवाह डॉ़ मनमोहन वैद्य ने पत्रकारों को बताया कि सबरीमला देवस्थान मामला सदियों पुरानी धाíमक परंपरा से जुड़ा है और इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दखल की आड़ लेकर केरल सरकार द्वारा हिंदू श्रद्धालुओं के साथ ज्यादती की जा रही है। बैठक में इस विषय पर प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बैठक में वर्तमान परिस्थितियों में परिवार व्यवस्था के समक्ष चुनौतियों पर भी चर्चा होगी। संघ इस विषय में भारतीय दर्शन के अनुसार ‘मैं से हम’ तक जाने की प्रक्रिया पर समाज के बीच काम करेगा।
डॉ़ वैद्य ने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधिसभा आरएसएस के कार्यो के संबंध में निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी इकाई है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। यह बैठक एक साल दक्षिण में, एक साल उत्तर में एवं तीसरे वर्ष नागपुर में होती है। प्रति दो हजार स्वयंसेवकों पर एक प्रतिनिधि का चयन किया जाता है। यह बैठक संगठन कार्य के विस्तार, ²ढ़ीकरण एवं विविध प्रांतों के विशेष कार्य, प्रयोग एवं अनुभव साझा करने की ²ष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
राम मंदिर मामले को लेकर पूछे गए सवाल पर डॉ़ वैद्य ने कहा कि संबंधित पक्ष न्यायालय में अपनी बात रख चुके हैं। अब इसे सर्वोच्च न्यायालय को देखना है।
बैठक में क्या लोकसभा चुनाव पर भी चर्चा होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनावी राजनीति पर चर्चा नहीं होगी, लेकिन चुनाव में 100 प्रतिशत मतदान हो, इसके लिए स्वयंसेवक समाज में जनजागरण करेंगे।
डॉ़ वैद्य ने प्रयागराज कुंभ की चर्चा करते हुए बताया कि इस वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार और विभिन्न पीठों के सहयोग से कुंभ में (वैचारिक कुंभ के माध्यम से) कई नए प्रयोग किए गए, जो काफी सफल रहे। इनमें युवा कुंभ, मातृशक्ति कुंभ, समरसता कुंभ, पर्यावरण कुंभ एवं सर्वसमावेशी कुंभ वैचारिक आदान-प्रदान की दृष्टि से बहुत प्रभावी साबित हुए हैं।
उन्होंने बताया कि कार्य में गुणवत्ता एवं कार्य विस्तार की ²ष्टि से संघ के छह सह सरकार्यवाह 43 प्रांतों में जिलास्तर पर 12 हजार कार्यकर्ताओं की बैठकें ले चुके हैं। सन् 1990 के बाद समाज के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए सेवा प्रकल्प और कार्य पर केंद्रित कार्यपद्धति के माध्यम से 300 विकसित गांवों को ‘प्रभात गांव’ की श्रेणी में लाने का कार्य चल रहा है।
डॉ़ वैद्य ने बताया कि संघ की कार्ययोजना में भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ-उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही लोग अपने परिवार के बीच अधिक समय बिताएं, इसके लिए कुटुम्ब प्रबोधन के जरिए काम चल रहा है।