लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित चुनौती नहीं दे पाया.
ऐसे में चुनाव परिणाम के बाद ही गठबंधन के टूट गया और अब उत्तर प्रदेश में विपक्ष पूरी तरह से बिखरा नज़र आ रहा है.
हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने पहली बार पूरी तैयारी के साथ उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है और पार्टी नेता मायावती ने इस संदर्भ में बैठकें भी शुरू की हैं लेकिन बीजेपी को अकेले चुनौती देने में वो कितनी सक्षम है, ये देखने वाली बात होगी.
जहां तक लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन का सवाल है तो इसका प्रयोग पूरे उत्तर प्रदेश में भले ही बहुत ज़्यादा सफल न रहा हो लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी और मोदी लहर के बावजूद ये ख़ासा सफल रहा. इस इलाक़े में गठबंधन को लोकसभा में आठ सीटें मिली हैं और कुछ सीटों पर हार-जीत का अंतर बेहद कम रहा.
आने वाले दिनों में यूपी की 11 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं. ये सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं और इनमें से ज़्यादातर पर पहले बीजेपी ही काबिज़ थी.
11 में से पांच सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं और इसीलिए राजनीतिक दलों की सक्रियता इस इलाक़े में अभी से बढ़ गई है, ख़ासतौर पर भारतीय जनता पार्टी की.