Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 सत्ता, शराब और सियासत | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

Home » सम्पादकीय » सत्ता, शराब और सियासत

सत्ता, शराब और सियासत

May 7, 2020 4:56 pm by: Category: सम्पादकीय Comments Off on सत्ता, शराब और सियासत A+ / A-

भोपाल। सत्ता किसी भी राजनैतिक दल हो बिना शराब के चुनाव नहीं लड़ता। मतदान के एक दिन पूर्व की रात जिसे कि कत्ल की रात कहा जाता है उस रात सभी राजनैतिक दल मतदाताओं के बीच शराब बांट मतों को कत्ल करते हैं। लेकिन सरकार में आते ही शराब के व्यवसाय से दूरी दिखाने का प्रयास किया जाता है। आबकारी वर्ष 2018-19 के तक शराब के ठेके 15% की वार्षिक मूल्य वृद्धि के साथ फुटकर ठेकेदारों को दिए जाते थे और शराब पर वेट की दर 5% थी। लेकिन कमलनाथ सरकार ने 2019-20 के शराब के ठेके 20% की मूल्य वृद्धि के साथ दिए। कमलनाथ सरकार ने जब 2020-21 की आबकारी नीति बनाई तो प्रदेश के 16 नगर निगम वाले जिलों के शराब के ठेकों से चिल्हर ठेकेदारों को हटाकर एक व्यक्ति/समूह को ही ठेका देने की नीति बनाकर शराब के ठेकों पर व्यक्ति विशेष का एकाधिकार स्थापित करवा दिया। यह ठेके 25% की मूल्य वृद्धि और 5 की जगह 10% वेट की शर्तों के साथ दिये गए।
मध्यप्रदेश में लॉक डाउन के बीच शराब की दुकानें शुरू होने से सियासी संग्राम छिड़ गया है। शिवराज सरकार पर विपक्ष ने हमला बोलना शुरू कर दिया है। शराब राजनैतिक दलों के लिये हमेशा से ही चुनावी मुद्दा रही है। कोई भी राजनैतिक दल हो शराब और शराब के व्यापार से दूरी दिखाने की कोशिश करती है। यह दूरी तब और ज्यादा प्रदर्शित की जाती है जब कोई दल विपक्ष में हो। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनाव पूर्व प्रदेश में शराबबंदी की समीक्षा करने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार में आते ही मॉल में विशेष शराब दुकान खोलने, शिवराज सरकार के द्वारा बंद किये गए अहातों को खोलने की नीति और बार के नियमों को शिथिल कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पिछले कार्यकाल में नर्मदा नदी के किनारों की शराब दुकानें बंद करने, भोपाल में हुये गैंगरेप के बाद अहातों को बंद करने और कोई भी नई शराब दुकान न खोलने की नीति बनाई थी। लेकिन कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार के अहाते संबंधी निर्णयों को पलट दिया था
दिग्गी सरकार के समय शराब के ठेकों पर एक व्यक्ति/समूह का एकाधिकार होता था। ये एकाधिकार प्राप्त व्यक्ति/समूह हमेशा स्थानीय प्रशासन पर हावी रहा करते थे। सरकार बदली और उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं उन्होंने शराब के ठेकों की नीति बदली और जिलों की जगह छोटी-छोटी दुकानों का समूह बनाकर हर किसी को इस व्यवसाय में हाथ आजमाने का अवसर दिया। नतीजा ये हुआ कि दिग्गी सरकार के समय शराब के ठेकों पर कब्जा जमाए राजनैतिक वरदहस्त प्राप्त घरानों और औद्योगिक समूहों का शराब के ठेकों से एकाधिकार समाप्त हो गया और वे छोटी छोटी शराब दुकानों तक सीमित हो गए। सभी को पता था कि कमलनाथ सरकार का एक रिमोट दिग्गविजय सिंह के हाथ था। आख़िर 2020-21 की आबकारी नीति बनते समय कांग्रेस से जुड़े शराब ठेकेदारों ने एक यूनियन बनाया और शराब के ठेकों पर पुनः एकाधिकार प्राप्त करने एक जिला एक ठेकेदार की नीति लागू करवाने के लिये लॉबिंग और लाइजनिंग की। कांग्रेस से जुड़े शराब ठेकेदारों की लॉबिंग सफल हुई और कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 4 महानगर सहित अन्य 12 नगर निगम वाले जिलों के शराब ठेके एकल स्वामित्व को सौंपने का निर्णय कर सैंकड़ों छोटे और मंझोले शराब ठेकेदारों को व्यवसाय से बाहर कर दिया। लॉक डाउन के दौरान सीलबंद शराब दुकानों से शराब की अवैध बिक्री करने वाले ठेकेदार अब शासन के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट जाने वाले ठेकेदार उसी यूनियन से जुड़े लोग थे जिन्होंने कमलनाथ सरकार के समय ठेकों पर एकाधिकार प्राप्त करने लॉबिंग की थी। ये ठेकेदार सरकार से राजस्व में छूट पाने और अहाते खोले जाने की जिद कर रागे थे। लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई। लेकिन ये कांग्रेस समर्थित ठेकेदार ये संदेश देने में सफल हो गए कि हम कोरोना संक्रमण को रोकने शराब दुकानें नहीं खोलना चाहते और सरकार जबरदस्ती शराब दुकानें खुलवा रही है। जबकि यही ठेकेदार लॉक डाउन के दौरान चोरी-छुपे मनमानी कीमतों में शराब बेचते रहे और सरकार से लायसेंस फीस भी माफ करवाते रहे। बताया जाता है कि प्रदेश की प्रमुख शराब कंपनी सोम डिस्लरी के जगदीश अरोरा ने कमलनाथ सरकार के आईफा अवार्ड को 30 करोड़ का फण्ड मुहैया करवाया था और इस आयोजन के लिये शराब ठेकेदारों के यूनियन से और भी सहयोग राशि देने का आश्वासन दिया था। अब यही ठेकेदार शिवराज सरकार से घंटों और खपत के हिसाब से लाइसेंस फीस लेने की सौदेबाजी कर रहे हैं। सीधी सी बात ये है कि शराब ठेकेदार पिछली सरकार के प्यादे बन शिवराज सरकार से सौदेबाजी कर, हठधर्मिता दिखा प्रदेश सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। हाई कोर्ट से राहत न मिलने और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र के तेवर देख शराब ठेकेदारों के मंसूबे असफल हो गए और राजनीति करने का कुत्सित प्रयास भी। बताया जाता है कि जब 2020-21 के लिये शराब के ठेकों के लिये एकाधिकार वाली नीति बन रही थी तब आबकारी विभाग के आला अफसरों ने सरकार को चेताया था कि ठेकों पर एकाधिकार प्राप्त शराब ठेकेदार प्रशासन पर भारी पड़ते हैं और मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। आखिर आबकारी विभाग के आला अधिकारियों का अंदेशा सही साबित हुआ। एकाधिकार प्राप्त शराब ठेकेदारों ने आख़िर हठधर्मिता दिखाई और लॉक डाउन के ड्राई डे के दौरान मनमानी भी की।

हृदेश धारवार भास्कर न्यूज में ब्यूरो हेड हैं

सत्ता, शराब और सियासत Reviewed by on . भोपाल। सत्ता किसी भी राजनैतिक दल हो बिना शराब के चुनाव नहीं लड़ता। मतदान के एक दिन पूर्व की रात जिसे कि कत्ल की रात कहा जाता है उस रात सभी राजनैतिक दल मतदाताओं क भोपाल। सत्ता किसी भी राजनैतिक दल हो बिना शराब के चुनाव नहीं लड़ता। मतदान के एक दिन पूर्व की रात जिसे कि कत्ल की रात कहा जाता है उस रात सभी राजनैतिक दल मतदाताओं क Rating: 0
scroll to top