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 संkसद की भावी भूमिका को लेकर ग्रामीण मतदाता भी तोल-मोल के बोल पर चलने का बना चुके है मन | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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संkसद की भावी भूमिका को लेकर ग्रामीण मतदाता भी तोल-मोल के बोल पर चलने का बना चुके है मन

dilip sing bhuriyakantilal-bhuriaअनिल श्रीवास्तव(झाबुआ)लोकसभा चुनाव में मतदान में केवल 8 दिन का ही समय शेष बचा है और प्रत्याशियों की दिल की धडकन ज्यो ज्यो मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है तेजी से बढ रही है रतलाम-24 संसदीय सीट को लेकर तीन जिलो के अलग अलग परिवेश एवं स्थानीय परिस्थितियों के बाद भी इस संसदीय सीट को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है कि आखिर इस चुनाव में जीतने वाला हमारा जन प्रतिनिधि जन अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरेगा वैसे तो संसदीय चुनाव में 10 महाराथी अपना  भाग्य आजमाने के लिये  चुनावी समर में उतरे है किन्तु इस महाभारत में मुख्य लडाई कांग्रेस के वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया एवं भाजपा के दिलीपसिंह भूरिया के बीच ही होना तय माना जारहा है

पूरे  देश में बदलाव की जो हवा चल रही है और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये अटक से लेकर कटक, एवम कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक माहौल भाजपा द्वारा बनाया गया है जिसका असर इस आदिवासी अंचल की लोकसभा सीट पर भी दिखाई दे रहा है इस बार आम लोग चाहते है कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी को कम से कम एक बार तो मौका दिया ही जाना चाहिये और इसी के चलते मोदी लहर का प्रभाव ठेठ गा्रमीण अंचलों तक अपनी पैठ कर चुका है ।वही ये चुनाव कांग्रेस एवं भाजपा दोनों पार्टियों के लिये नाक का सवाल बन चुके है

अभी तक इस संसदीय सीट पर जितने भी चुनाव हुए है,उसमें प्राय: कांग्रेस पार्टी ही अपनी जीत दर्ज कराती आई है और कांतिलाल भूरिया यहां  से चार बार सांसद बनते रहे है इस बार चुनाव में मतदाताओं में भी काफी समझ चुकी है और वे अंचल के विकास को लेकर भी गंभीरता दिखाने मे पीछे नही रह रहे है और गुण दोष के आधार पर दूर दृष्टि रख कर अपने प्रत्याशियों का चयन करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाना शुरू कर चुके है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप  में  चार माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव है जिसमें लोगों ने कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया है और विकास एवं योजनाओं के लाभ को देखते हुए शिवराजसिंह चौहान को व्यापक समर्थन दिया है लगता है इस बार लोकसभा के चुनाव में भी जिले के गा्रमीण क्षेत्रों के मतदाता जिन पर ही चुनाव परिणाम पूरी तरह आश्रित है, वे 24 अप्रेल  को किस भूरिया को साफा बांध कर संसद मे भेजते है, यह अभी रहस्य का विषय ही माना जावेगा किन्तु कांग्रेस पार्टी के सांसद कांतिलाल भूरिया जो अपनी राजनैतिक रणनीति एवं जमावट में माहिरता के चलते यदि येनकेन प्रकारेण सांसद का चुनाव जीत भी जाते है तो यहां के गा्रमीण एवं शहरी मतदाता यह अवश्य ही जानते है कि  उनकी जीत  के बाद भी वे केवल संसद के शो पीस ही बन कर रहने वाले है क्योकि  अब गा्म गा्म तक टीव्ही चैनलों का नेटवर्क फैल चुका है और गा्रमीणजन देश की राजनीति में भी अपना दखल रखने लगे है तथा प्रतिदिन चुनावी समीक्षाओं एवं समाचारों को सुन कर यह बात अच्छी तरह जान चुके है कि इस बार केन्द्र मे कांग्रेस  नेतृत्व वाली सरकार बनने के कही से कहीं तक आसार दिखाई नही दे रहे है ऐसे में यदि अपनी पूरानी पकड एवं रणनीति के तहत कांतिलाल जीतने के बाद भी इस संसदीय सीट में विकास के लिये कुछ भी कदम उठा पायेगें या कोई विकास के नाम पर इस अंचल को सौगात दे सकेगें इसमे पूरी पूरी शंका दिखाइ्र दे रही है जिले के औद्योगिक विकास के लिये पिछले चार चुनावों से  कांग्रेस पार्टी जनता के समक्ष  वादे करती रही है, पेटलावद अंचल में टमाटर की भरपुर पैदावार केबाद भी वहां इससे संबंधित कोइ्र उद्योग लगवाने में सांसद पूरी तरह विफल रहे है रेल परियोजना के वादें को भी जनता इस चुनाव की कसौटी पर कसती हुई दिखाई दे रही है काग्रेसं नेतृत्व वाली यूपीए सरकार मे रह कर भी जिले में कृषि महाविद्यालय नही खुलवा पाये है, सांसद निधि को लेकर भी गा्रमीण सौतेले पन की बात करते है ऐसे में कांतिलाल भूरिया को लेकर एक अलग तरह की धारणा लोगों के जहन में बैठ गइ्र कि कांतिलाल भूरिया चुनाव जीत भी जावे तो भी वे कितने उपयोगी सिद्ध होगें यह किसी से छिपा हुआ नही है A

टेलीविजनों पर प्रतिदिन समाचारों में राहूल गांधी एवं नरेन्द्र मोदी के बारे में टिप्पणियां, समीक्षा एवं कइ्र राजनैतिक  कार्यक्रमों को एक बारगी देखा जावे तो कांग्रेस पार्टी भाजपा से काफी पीछे चलती हुई दिखाई दे रही है नरेन्द्रमोदी की सभाओं का सीधा प्रसारणर इस अंचल के गा्रमीण भी देखने से नही चुकते है तो राहूल की राजनीति भी देखकर तुलनात्मक तरिके से  अपना मन भी बना रहे है   ये चुनाव लोकसभा के नही होकर क्षेत्र के विकास के परिचायक बनने वाले है और ऐसे में मतदाता जो अब काफी समझदार हो चुका है, अपना मत किसे देना है वह मन में ही अभी से धारण कर चुका है ऐसे में वर्तमान कांग्रेसी सांसद की  भावी भूमिका भी मतदाताओं को  मनन करने को बाध्य जरूर कर रही है

संkसद की भावी भूमिका को लेकर ग्रामीण मतदाता भी तोल-मोल के बोल पर चलने का बना चुके है मन Reviewed by on . अनिल श्रीवास्तव(झाबुआ)लोकसभा चुनाव में मतदान में केवल 8 दिन का ही समय शेष बचा है और प्रत्याशियों की दिल की धडकन ज्यो ज्यो मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है तेजी अनिल श्रीवास्तव(झाबुआ)लोकसभा चुनाव में मतदान में केवल 8 दिन का ही समय शेष बचा है और प्रत्याशियों की दिल की धडकन ज्यो ज्यो मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है तेजी Rating:
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