नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक संसद में गतिरोध समाप्त करने में नाकाम रही। कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ललित मोदी तथा व्यापमं मुद्दे पर इस्तीफे को लेकर अपने-अपने रुख पर कायम हैं।
कांग्रेस ने ललित मोदी के साथ संबंधों को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और व्यापमं घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग की, जबकि सरकार ने विपक्ष की मांग खारिज कर दी।
21 जुलाई को शुरू हुए मानसून सत्र के प्रथम दो सप्ताह विपक्ष की मांग को लेकर हुए हंगामे की भेंट चढ़ गए हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि सर्वदलीय बैठक गतिरोध समाप्त करने के लिए शुरू हुआ, लेकिन कांग्रेस इस्तीफे की अपनी मांग पर अड़ी रही।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस पहले इस्तीफा फिर सदन की कार्यवाही की अपनी मांग पर अड़ी हुई है। हालांकि, अन्य पार्टियों की राय है कि सदन को चलने देना चाहिए और विभिन्न विषयों पर चर्चा कराई जानी चाहिए।”
नायडू ने कांग्रेस पर सुषमा को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया और कहा कि यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार अपने रुख पर कायम है।
उन्होंने कहा, “वास्तव में, कांग्रेस अपने रुख पर कायम है। यहां तक कि मानसून सत्र के पहले ही कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि वह भाजपा नेताओं के इस्तीफे तक संसद की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। हम उन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं, जिसपर वह चर्चा कराना चाहते हैं।”
नायडू ने यह भी कहा कि कांग्रेस सुषमा स्वराज को बदनाम करने के लिए अभियान चला रही है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, “पहले मंत्री को प्रतिक्रिया व्यक्त करने दीजिए। वह (सुषमा) लोगों के बीच अपनी बात रखने के लिए तैयार हैं। यहां तक कि जब जरूरत पड़ेगी, प्रधानमंत्री भी प्रतिक्रिया देंगे। 12 दिन बीत चुके हैं। अब तो संसद की कार्यवाही चलने दीजिए।”
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह इस बात को लेकर खुश हैं कि सरकार ने बैठक बुलाई, लेकिन दुर्भाग्य से वह सदन को अपने नियमों व शर्तो पर चलाना चाहती है।
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता। विपक्ष भी गतिरोध को खत्म करना चाहता है, लेकिन हमारी मांगें स्पष्ट है, पहले इस्तीफा फिर कार्यवाही।”
वहीं तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि अधिकांश पार्टियों का मत है कि संसद की कार्यवाही चले, लेकिन यह सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) तथा मुख्य विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) पर निर्भर करता है।
बंदोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा, “हमारे पास कई क्षेत्रीय मुद्दे हैं और उसपर हम संसद में चर्चा करना चाहते हैं। पूरा बंगाल बाढ़ से प्रभावित है। किसानों के भी मुद्दे हैं।”
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता राम गोपाल यादव ने कहा, “यदि गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकला, तो अंतत: संसदीय लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।”
बैठक में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद व मल्लिकार्जुन खड़गे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) के शरद यादव, सपा के राम गोपाल यादव तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार सहित विभिन्न विपक्षी पार्टी के नेताओं ने हिस्सा लिया।
सरकार की तरफ से बैठक में राजनाथ सिंह, अरुण जेटली व वेंकैया नायडू उपस्थित थे।