चेन्नई, 9 मार्च (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा सिक्युरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फायनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्युरिटी इंटरेस्ट (एसएआरएफएईएसआई) अधिनियम के दायरे में गैर बैंकिंग फायनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को लाने से उन कंपनियों की कर्ज वसूली प्रक्रिया तेज होगी। यह बात मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कही है।
कारोबारी अधिकारियों ने कहा कि सरकार उद्योग की लंबे समय से की जा रही मांग को मानने के लिए तैयार हो गई है।
आम बजट 2015-16 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पांच अरब रुपये से अधिक संपत्ति वाली एनबीएफसी को एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के तहत ‘वित्तीय संस्थान’ का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा है।
मूडीज क्रेडिट आउटलुक के ताजा संस्करण के एक आलेख के मुताबिक, यह कदम ऐसी कर्जदाता कंपनियों के लिए साख बढ़ाने वाला है, जो आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति के आधार पर कर्ज देती हैं।
सुंदरम फायनेंस के प्रबंध निदेशक टीटी श्रीनिवासराघवन ने सोमवार को यहां आईएएनएस से कहा, “एनबीएफसी और सुंदरम फायनेंस लिमिटेड पिछले 10 साल से इसके लिए मांग कर रही थी। यह एक स्वागत योग्य कदम है।”
उन्होंने कहा, “यह कदम सरकारी धन की रक्षा करने के लिए उठाया गया है। सरकार के फैसले से एनबीएफसी को अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का बेहतर मंच मिल गया है।”
उनके मुताबिक इस फैसले के बाद एनबीएफसी का दर्जा एक तरह से बैंक जैसा हो गया है।
शोध रपट के मुताबिक, तेज कर्ज वसूली का फायदा एनबीएफसी द्वारा सृजित रेसीडेंशियल मोर्टगेज-बैक्ड सेक्युरिटीज (आरएमबीएस) पर आधारित ‘संपत्ति पर कर्ज’ (एलएपी) को भी मिलेगा।
आलेख के मुताबिक, “एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के कारण एलएपी के तहत आने वाली संपत्ति को एनबीएफसी तेजी से नियंत्रण में ले सकेगी, क्योंकि एनबीएफसी को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह किसी ऋण को गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित करने के बाद 60 दिनों के भीतर ऐसे कर्ज को वापस करने की मांग कर सकेगी।”
यदि कर्जदार नोटिस मिलने के बाद 60 दिनों के भीतर बकाए का पूरा भुगतान नहीं करता, तो कर्जदाता कंपनी संबंधित क्षेत्र के मुख्य महानगर दंडाधिकारी या जिलाधिकारी के सहयोग से संपत्ति को हस्तगत करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
मौजूदा नियमों के मुताबिक, एनबीएफसी को ऋण वसूली और संपत्ति हस्तगत करने के लिए दीवानी अदालत का सहारा लेना पड़ता है और उसकी समय सीमा निर्धारित करना कठिन है।
मुख्य महानगर दंडाधिकारी और जिलाधिकारी द्वारा कर्ज वसूली अपेक्षाकृत तेज होगी।
शोध रपट के मुताबिक, एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के दायरे में आने से कर्जदाता कंपनियां कर्ज चुकाने में विफल रहने की स्थिति में कर्जधारक के कारोबार का प्रबंधन नियंत्रण अपने हाथ में ले सकेंगी।
एलएपी में सक्रिय और सरकार के प्रस्ताव से लाभान्वित होने वाली एनबीएफसी में शामिल हैं चोलामंडलम इनवेस्टमेंट एंड फायनेंस, इंडियाबुल्स फायनेंशियल सर्विसिस, मैग्मा फिनकॉर्प, रिलायंस कैपिटल, रेलीगेयर फिनवेस्ट और फुलर्टान इंडिया क्रेडिट कंपनी।