नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। नृत्यांगना और कोरियोग्राफर आनंदा शंकर जयंत ने अपने नृत्य के माध्यम से महान संत संगीतज्ञ त्यागराज की शास्त्रीय रचनाओं के जरिए प्रमुख पौराणिक पात्र राम के जीवन के विभिन्न प्रकरणों एवं दृश्यों की लयबद्ध प्रस्तुति की।
हैदराबाद की जयंत ने राष्ट्रीय राजधानी में भरतनाट्यम शैली में एकल नाटिका (मोनोड्रामा) पेश किया। उन्होंने संत त्यागराज की चुनी हुई कृतियों को एक साथ लयबद्ध करते हुए भारतीय महाकाव्य को जीवंत किया।
जयंत की नृत्य प्रस्तुति के साथ ही शुक्रवार शाम तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत हुई।
भारतीय विद्या भवन की ओर से आयोजित संगीत समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित आनंदा शंकर जयंत ने कावेरी नदी क्षेत्र में निवास करने वाले 18वीं-19वीं सदी के तेलुगू कवि-संगीतकार त्यागराज की कृतियों के जरिए श्रीराम की कथा पेश की।
यह प्रस्तुति दो भागों में वर्गीकृत थी। पहला भाग ‘त्यागराज रामायनम’ में प्रभु राम के जन्म से लेकर सीता कल्यानम (सीता से उनके विवाह) के प्रकरणों को प्रस्तुत किया गया, जबकि दूसरे भाग में भरत द्वारा अपने अग्रज भ्राता की तलाश तथा प्रभु राम के अयोध्या आगमन पर उनके राज्याभिषेक को दर्शाया गया।
विदुषी डी. शेशाद्रि की ‘श्री त्यागराज कृति रामायनम’ पुस्तक के क्रम पर आधारित समग्र संगीत की रचना करने वाली वायलिन वादक सुभाषिनी शंकर के कार्यो के बारे में डॉ. आनंदा ने कहा, “यह निरंतरता को बनाए रखने के लिए था।” डॉ. आनंदा एक शीर्ष अधिकारी, शिक्षक और प्रेरक वक्ता भी हैं।
आनंदा 1986 में वापस भारत आईं। उन्होंने चेन्नई में प्रसिद्ध कलाक्षेत्र से भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी में अपना प्रशिक्षण पूरा किया। ‘त्यागराज रामायण’ का व्यापक रूप से मंचन किया गया है और दुनिया भर में कई स्थानों पर इसकी प्रस्तुति हुई है।
नई दिल्ली कमानी सभागार में आयोजित इस प्रस्तुति में आई. वी. रेणुका प्रसाद (नट्टवंकम), टी. पी. बालासुब्रमण्यम (मृदंगम), साई कुमार (वायलिन) और प्रकाश सैवियो (रोशनी) के अलावा, सतिराजू वेणुमाधव के वोकल ने डॉ. आनंदा का साथ दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत एक श्लोक से हुई। आरंभ में ही प्रसिद्ध कर्नाटक श्लोक सोगासुचूदा का पाठ किया गया, जिसमें त्यागराज पूछते हैं, “श्रीराम, क्या मैं आपके सौंदर्य को देखने के योग्य हूं? आपके दमकते मुख, मनमोहक मुस्कान और भाव भंगिमा..।”