मुंबई, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के दावों की हवा निकालते हुए शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम यह दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय दलों को पछाड़ने में सक्षम नहीं है।
असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के नतीजे ‘न तो चौंकानेवाले हैं और न ही आश्चर्यजनक’ हैं। सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में यह लिखा है।
संपादकीय में कहा गया है, “भाजपा केवल कांग्रेस को असम में हरा सकी। वह न तो ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में हरा सकी, न जयललिता को तमिलनाडु में, न वामपंथी पार्टियों को केरल में और कांग्रेस भी पुडेचेरी में जीत गई। हमें यह स्वीकार करना होगा कि भाजपा क्षेत्रीय दलों को नहीं हरा सकती है।”
सेना ने कहा कि अब यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को असम और केरल से बाहर कर दिया गया। लेकिन यह क्यों नहीं कहा जा रहा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में हार गई।
सेना भाजपानीत केंद्र सरकार की सहयोगी पार्टी है। महाराष्ट्र में भी वह भाजपा के साथ सरकार में शामिल है।
यह जानने की जरूरत है कि जब भाजपा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भ्रष्टाचार, गुंडई और आतंकवाद का आरोप लगा रही थी तो लोगों ने तृणमूल कांग्रेस को क्यों वोट दिया?
इसमें यह भी कहा गया है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘ममता मुक्त बंगाल’ की बात की थी। अब भाजपा यह कह रही है कि वह पश्चिम बंगाल में खाता खुलने से संतुष्ट है।
सेना ने पूछा कि क्या खाता खोलना ही लक्ष्य था? तो फिर भाजपा के शीर्ष नेता बंगाल में क्या रहे थे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वहां का दौरा किया और रैलियां की।
केरल का जिक्र करते हुए सेना ने कहा कि वहां कांग्रेस और वामपंथी दल बारी-बारी सत्ता में आते हैं और भाजपा वहां भी केवल अपना खाता खोल पाई है।
सेना ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जाहिर है, भाजपा के लिए ‘केवल खाता खोलना’ ही ‘अच्छे दिन’ के बराबर है।
तमिलनाडु में जयललिता अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहीं और 126 सीटें जीती। जबकि उन्हें चुनौती डीएमके के 92 वर्षीय एम. करुणानिधि से मिली, जिनकी सीटों की संख्या 32 से बढ़कर 105 हो गई।
सेना ने कहा, “इसलिए, ‘मोदी मैजिक’ इन चारों राज्यों में असफल रहा। केवल असम की जीत बिहार के हार के बाद मरहम की तरह है।”
इसमें इस बात को दोहराया गया कि विधानसभा चुनाव के परिणाम से यह साबित होता है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दल क्षेत्रीय दलों के प्रसिद्ध नेताओं को कभी मात नहीं दे सकते। “हम सभी विजेताओं को बधाई देते हैं।”