भोपाल, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से विधानसभा में झूठ बुलवाया है। यह खुलासा राज्य सरकार के पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा मुख्यमंत्री को लिखी गई एक चिट्ठी से हुआ है। मंत्री की यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हुई है।
मामला जुलाई 2015 का है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने सवाल किया था कि क्या इंदौर नगर निगम की सीमा के करीब स्थित गांव से आश्रय शुल्क वसूल कर डूडा के कार्यालय में जमा किया गया है। इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री चौहान ने बताया था कि आश्रय शुल्क के तौर पर 57 करोड़ 47 लाख से ज्यादा की राशि वसूल कर डूडा कार्यालय में जमा की गई है।
मुख्यमंत्री द्वारा आश्रय शुल्क को लेकर विधानसभा में दिए गए जवाब पर पंचायत मंत्री भार्गव ने एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में कहा गया है कि शहरी इलाके के करीब स्थित गांव के लिए कॉलोनाइजर नियमों में आश्रय शुल्क वसूलने का प्रावधान नहीं था, हां इन कॉलोनी में 15 प्रतिशत स्थान कमजोर वर्ग के लोगों को आवंटित करने का प्रावधान था। संबधित अधिकारियों ने भूखंड आरक्षित करने के स्थान पर आश्रय शुल्क की राशि वसूल की है।
मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि नगरीय निकाय को यह राशि वसूलने का अधिकार नहीं था, वहीं राशि को बैंक में जमा करने में दूसरी गंभीर अनियमितता की गई हैं। इतना ही नहीं नगरीय प्रशासन द्वारा इस राशि का उपयेाग किया जाना भी विधि अनुरूप नहीं है।
पंचायत मंत्री भार्गव ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस संपूर्ण प्रकरण की जांच कराई जाए और अवैध रूप से आश्रय शुल्क वसूलने, उसका उपयोग करने तथा गलत तरीके से विधानसभा में प्रश्नोत्तर प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। साथ ही यह मामला लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू को सौंपा जाए।