भोपाल, 21 अप्रैल – मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नवगठित मंत्रिमंडल का आकार कोरोना संक्रमण के चलते भले ही छोटा हो, मगर क्षेत्रीय, राजनीतिक और जातीय संतुलन का पूरा ख्याल रखा गया है। मंत्रिमंडल में पांच मंत्री हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों और अलग-अलग जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राज्य की सत्ता में हुए बदलाव के बाद शिवराज ने 23 मार्च की रात मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मगर कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मंत्रिमंडल के गठन का क्रम थम गया था। इस दौरान मंत्रिमंडल के गठन की कयासबाजी हालांकि जारी थी। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं को भी मंत्रिमंडल में स्थान देने की बड़ी जिम्मेदारी व जवाबदारी थी। लिहाजा, 29 दिन बाद मंत्रिमंडल का गठन किया गया। इस छोटे मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय, राजनीतिक और जातीय समीकरण के संतुलन की तस्वीर साफ नजर आ रही है।
भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में जिन पांच नेताओं नरोत्तम मिश्रा, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, मीना सिंह व कमल पटेल को शपथ दिलाई गई है, वे अलग-अलग क्षेत्र व जातियों से आते हैं। बात नरोत्तम मिश्रा की करें तो ब्राह्मण जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आते हैं। वह पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं और पूर्व में बाबूलाल गौर व चुनाव से पहले वाले शिवराज मंत्रिमंडल में रह चुके हैं।
इसी तरह दूसरे ताकतवर मंत्री तुलसीराम सिलावट हैं, जो इंदौर के सांवरे से विधायक रहे हैं। वह मालवा क्षेत्र से आते हैं। उनकी गिनती ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों में होती है। वह चौथी बार के विधायक हैं और अनुसूचित जाति के प्रतिनिधि हैं। सिलावट पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।
कमल पटेल पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा हैं। वह हरदा से विधायक हैं और निमांड क्षेत्र से आते हैं। वह पांचवीं बार के विधायक हैं। इतना ही नहीं, संगठन पर उनकी गहरी पकड़ है। वह उमा भारती व शिवराज सिंह के पहले वाले मंत्रिमंडल में भी रह चुके हैं।
नई शिवराज सरकार में मंत्री बनाए गए गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले की सुरखी विधानसभा से विधायक रहे हैं। वह बुंदेलखंड क्षेत्र से आते हैं और सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। वह तीसरी बार विधायक बने हैं और क्षत्रिय वर्ग से आते हैं। कांग्रेस की कमल नाथ सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं।
इस मंत्रिमंडल में भाजपा की आदिवासी चेहरा और महिला प्रतिनिधि के तौर पर मानपुर से विधायक मीना सिंह को भी जगह दी गई है। वह पांचवीं बार की विधायक हैं और उनका नाता विंध्य व महाकौशल क्षेत्र से है। इससे पहले वह राज्यमंत्री रह चुकी हैं।
नए मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है। इसके साथ ही सियासी समीकरणों को भी मजबूत करने पर जोर दिया गया है। यही कारण है कि पांच में से तीन मंत्री भाजपा के और दो अभी हाल ही में भाजपा में आए सदस्य हैं। ये दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री और हाल ही में ‘जनसेवा’ के लिए पार्टी बदल चुके ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी हैं।