लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की राजधानी और अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां मंगलवार को कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति पर पाश्चात्य भाषाएं हावी हो रही हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, “मैं भाषा के वर्गीकरण के बारे में नहीं जाना चाहता, मेरा सिर्फ यही कहना है कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।”
गृहमंत्री मंगलवार को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
राजनाथ ने कहा कि दुनिया में युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा भारत में है, लेकिन विडंबना यह है कि युवा वर्ग में दो विचारधाराएं देखने को मिल रही हैं। एक वर्ग अपनी शिक्षा का उपयोग हिंसक गतिविधियों में कर रहा है, तो वहीं दूसरा वर्ग अपने देश को स्वावलम्बी और सशक्त बनाने में जुटा हुआ है।
छात्रों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि पारंपरिक विषयों के अलावा समय के हिसाब से विश्वविद्यालय की तरफ से जो पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, वे सराहनीय हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि जब तक समाज के अंतिम छोर पर बैठक व्यक्ति को शिक्षा नहीं दी जाएगी, तब तक विकास संभव नहीं है। प्राचीन धर्मग्रंथों में भी ज्ञान को बड़ी पूंजी माना गया है।
राजनाथ ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन जब आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा था तो वहां की सरकार ने अपने सभी फंडों में कटौती की, लेकिन शिक्षा के फंड को बरकरार रखते हुए उसमें बढ़ोतरी की थी। इसी का परिणाम है कि आज सभी लोग हावर्ड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का नाम लेते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।