डॉ. पांडेय ने कहा, “सपा अध्यक्ष की गुजरात चुनाव में कांग्रेस की मदद की घोषणा ठीक वैसे ही है जैसे उप्र में राहुल ने अखिलेश की मदद की थी। उप्र में अखिलेश ने अपने दोस्त को 25 फीसदी से ज्यादा सीटें समझौते में दी थी, लेकिन राहुल बाबा ने सपा को सिर्फ पांच सीटें ही दी हैं। शायद राहुल की नजर में अखिलेश कमतर है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “‘याराना यार का न कभी टूटेगा’ का तराना गाते हुए दो शहजादे फिर एक साथ निकलने को आतुर हैं। गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद राहुल बाबा पूर्व की भांति छुट्टियां मनाने जाएंगे और सपा के शहजादे फिर परिवारिक ड्रामे में रूठने-मनाने की पटकथा पर काम करने में जुट जाएंगे।”
उन्होंने दावा किया कि उप्र के जनादेश की तरह ही गुजरात का जनादेश भी शहजादों सहित समूचे विपक्ष को उनकी नीतियों की पुनर्समीक्षा के लिए प्रेरित करेगा।