उनका कहना था, “डॉक्टरों को सरकार को सहयोग देना होगा। सरकार संसाधन उपलब्ध कराने के साथ सुविधाएं दे सकती हैं, पर डॉक्टरों की उपलब्धता बड़ी चुनौती है। आज के समय में डॉक्टरों की कमी के चलते गांवों में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है।
प्रदेश के हर क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के सीएचसी पीएसची आदि डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार प्रयास कर रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे चिकित्सक उपलब्ध हों।
योगी ने शुक्रवार को राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 200 शैय्या वाले मातृ शिशु रेफरल चिकित्सालय में विभिन्न चिकित्सकीय सुविधाओं के शुभारंभ के अवसर पर उपस्थित चिकित्सा शिक्षा के छात्रों से कहा कि वे अपने जीवन को एक मिशन से जोड़ें। चिकित्सा शिक्षा की डिग्री लेने के बाद वे गांवों में अपनी सेवा देकर डॉक्टरों की कमी को दूर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर गांव में ऐसी सेवा दें कि उनके जाने के बाद भी मरीज न केवल उन्हे याद करें, बल्कि उन्हें दुआ भी दें।
योगी ने कहा कि एमबीबीएस करने वाले छात्र गांव में जाकर वहां की स्थितियों को देखें तथा पीजी करने के बाद कम से कम 2 साल गांव में अवश्य सेवा दें। इसी प्रकार से सुपर स्पेशियलिटी के बाद चिकित्सक कम से कम तीन साल गांव में सेवा देकर स्थितियों को बेहतर बनाएं, तब जाकर वे समाज के प्रति अपने दायित्व को पूर्ण कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि हर कमिश्नरी में कम से कम एक मेडिकल कालेज की स्थापना हो। इसके साथ ही दूर दराज के क्षेत्रों में भी मेडिकल कालेज खोलने का प्रयास हो रहा है। रोग के निदान के पूर्व उसके उन्मूलन के प्रति जागरूकता पैदा करना जरूरी है।
इस दौरान योगी ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत बनाए गए इस रेफरल हॉस्पिटल का नाम पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता के नाम पर रखने की घोषणा की।