अगरतला/आइजोल, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने उत्तरी त्रिपुरा में बीते दो दशकों से रह रहे 32 हजार रियांग आदिवासियों के लिए सोमवार से राहत रोकने का फैसला किया है। लेकिन, यह साफ नहीं है कि यह सभी मिजोरम वापस लौटना शुरू करेंगे या नहीं। इनमें से अभी तक 180 ही वापस मिजोरम लौटे हैं।
अगरतला/आइजोल, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने उत्तरी त्रिपुरा में बीते दो दशकों से रह रहे 32 हजार रियांग आदिवासियों के लिए सोमवार से राहत रोकने का फैसला किया है। लेकिन, यह साफ नहीं है कि यह सभी मिजोरम वापस लौटना शुरू करेंगे या नहीं। इनमें से अभी तक 180 ही वापस मिजोरम लौटे हैं।
राहत सामग्री रोकने का निर्णय इस महीने के शुरू में लिया गया। अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से लोगों को शुक्रवार और शनिवार को इसकी जानकारी दी। उत्तरी त्रिपुरा के जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि ब्रू शरणार्थियों को शनिवार को हफ्ते भर के लिए राहत सामग्री दी गई।
जातीय तनाव की वजह से 32,876 शरणार्थियों ने मिजोरम के गांवों से भागकर त्रिपुरा में पनाह ली थी।
अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर धर्मनगर से फोन पर आईएएनएस को बताया, “सरकार आदिवासियों की तत्काल घर वापसी को लेकर बहुत गंभीर है। लेकिन, हम निश्चित नहीं है कि वे जल्द ही अपने शिविरों को छोड़कर जाना शुरू करेंगे।”
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ शरणार्थी नेता यहां रह रहे समुदाय के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
उत्तरी त्रिपुरा के जिलाधिकारी रावल हेमेंद्र कुमार ने आईएएनएस से कहा, “त्रिपुरा के छह राहत शिविरों में रह रहे आदिवासी शरणार्थियों के लिए केंद्र सरकार एक अक्टूबर से राहत सामग्री व अन्य तरह की मदद रोक रही है।”
यह फैसला तीन जुलाई को त्रिपुरा व मिजोरम सरकार तथा गृह मंत्रालय व आदिवासियों की संस्था मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के बीच हुए समझौते के अनुरूप है।
समझौते के तहत प्रत्येक शरणार्थी परिवार को चार लाख रुपये, माहवार पांच हजार का भत्ता, घर बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपया और दो साल तक मुफ्त राशन दिया जाएगा।
समझौते के मुताबिक, 5407 रियांग आदिवासी परिवारों को 16 या 17 अगस्त से वापस मिजोरम के तीन जिलों को लौटना था।
लेकिन, इन्होंने जाने से मना कर दिया और मिजोरम में अर्ध सैनिक बलों की निगरानी में सुरक्षा, खेती के लिए जमीन, रियांग (जिन्हें स्थानीय भाषा में ब्रू कहा जाता है) आदिवासियों के लिए क्षेत्र विकास परिषद की स्थापना की अपनी मांग दोहराई।
एमबीडीपीएफ के महासचिव ब्रूनो शा का कहना है कि इन मांगों को समझौते में शामिल नहीं किया गया है जिसमें प्रत्येक शरणार्थी परिवार को पांच हेक्टेयर जमीन दिया जाना भी शामिल है।
19 और 26 सितम्बर को 177 शरणार्थी परिवार लौट गए। एक परिवार रविवार को लौटा।
ब्रूनो शा ने कंचनपुर से आईएएनएस को बताया कि वे मिजोरम लौटने के इच्छुक शरणार्थी परिवारों की सूची बना रहे हैं।