काठमांडू, 9 मार्च (आईएएनएस)। सार्क चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (सार्क सीसीआई) फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के साथ मंगलवार से नई दिल्ली में दो दिवसीय 63वीं कार्यकारी समिति और महासभा का आयोजन करने जा रहा है।
इस बैठक के साथ ही एक दक्षिण एशियाई निवेश कॉकस का भी गठन होगा।
यह कॉकस दक्षेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) का एक मंच है। उद्योग संगठनों को उप-क्षेत्रीय स्तर पर विशेष एजेंडों के लिए विभिन्न अभियानों की एक श्रृंखला पेश होने की उम्मीद है।
इस संदर्भ में सार्क सीसीआई दो परियोजनाओं का क्रियान्वयन करेगा। इसमें सार्क शिपिंग कंपनी और सार्क
ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स कंपनी शामिल हैं। इन परियोजनाओं में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी होगी।
सार्क सीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सूरज वैद्य के मुताबिक, दक्षिण एशिया और उप-क्षेत्रीय स्तरों पर पारगमन और व्यापार मुद्दों को सुलझाने के लिए नए अभियान शामिल हैं।
इस प्रस्तावित सीईओ फोरम में सदस्य देशों द्वारा नामित सदस्य, सार्क सीसीआई और राष्ट्रीय मंडलों द्वारा नामित सदस्य शामिल होंगे, जिनमें एक उपाध्यक्ष और एक कार्यकारिणी सदस्य शामिल हैं।
वैद्य ने कहा कि यह मंच क्षेत्र में बड़े निवेश लाने में मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा कि वे एक मंत्रिस्तरीय बैठक में फोरम सदस्यों को आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव भी रखेंगे।
सार्क सीसीआई के बयान के मुताबिक, सार्क सीसीआई दक्षिण एशिया में पारगमन व्यापार को लाने के इच्छुक है ताकि पड़ोसी देशों पर निर्भर रहने के बजाए अफगानिस्तान, भूटान और नेपाल जैसे बगैर समुद्री सीमा वाले देश अन्य बाजारों तक पहुंच बना सकें।
प्रस्तावित दक्षिण एशियाई निवेश कॉकस एक ऐसा प्रयास है, जिससे दक्षिण एशियाई कंपनियों को दक्षिण एशिया से बाहर निवेश करने के मौजूदा रुझान के बजाए इस क्षेत्र के भीतर वापस निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
बयान के मुताबिक, “व्यापार की तरह दक्षेस देशों के भीतर निवेश का भी निम्नतम स्तर है, जिससे आर्थिक सहयोग का दायरा सीमित हो गया है।”
मौजूदा समय में कुल वैश्विक व्यापार की तुलना में दक्षेस के सदस्य देशों में व्यापार सिर्फ 3-5 प्रतिशत ही है।
इस बैठक में तीन चरणों में चर्चा की जाएगी। पहले चरण में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत केंद्रित चर्चा की जाएगी। दूसरे चरण में श्रीलंका, मालदीव और भारत, जबकि आखिरी चरण में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और भारत केंद्रित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।