भोपाल– महाजनसम्पर्क अभियान का गुरुमंत्र देने भोपाल आये राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अंततः व्यापम पर कुछ ना बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चिट दे गए.
अब भाजपा की रणनीति इस मुद्दे पर समझ आने लगी है.सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पहले शिवराज सिंह का यह घोषणा करना की वे सीबीआई जांच को तैयार हैं.मप्र भाजपा अध्यक्ष द्वारा यह बयान देना की व्यापम मुद्दे को लेकर उन्हें कोई अफ़सोस नहीं और संघ प्रमुख एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का इस मानवीय मुद्दे पर चुप रहना इस मुद्दे की भयावहता की तरफ इशारा कर रहा है.
कांग्रेस का इस मुद्दे को उठाना और भाजपा द्वारा उसे दुष्प्रचार बताना भाजपा की एक रणनीति दिखाई दे रही है.कांग्रेस के हाथों यह मुद्दा भाजपा ने ही दिया है.यह कोई कांग्रेस ने नहीं उत्पन्न किया है.
लेकिन अब यही मुद्दा भाजपा को अपना विनाश दिख रहा है.भाजपा की चुनावी जीतों ने आने वाले समय में आशा की किरने दिखाई हैं और भाजपा व् संघ अब इस बढ़त को नहीं खोना चाहते,इसलिए व्यापम को अनदेखा कर वे इस मुद्दे को दबाना चाहते हैं.सीबीआई जांच में भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की सब कुछ सही ही हो.
यदि शिवराज सिंह चौहान को इस बड़े घोटाले के कारण कांग्रेस के कहने पर हटाया जाता है तो शिवराज से ज्यादा भाजपा की छवि धूमिल होगी और यह छवि भाजपा के रणनीतिकार धूमिल करने के लिए तैयार नहीं हैं.चूनिक भाजपा संघटन के रूप में दिनों-दिन अपने आप को मजबूत करती जा रही है और आने वाले वर्षों में उसे अपनी ताकत और भी बढानी है इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले भाजपा सभी राजनैतिक पहलुओं पर गौर कर रही है.
पिछले दिनों भाजपा को मप्र में मिली जबरजस्त जीत से वैसे ही इसके अगुआ मदहोश हैं और व्यापम में हुई मौतों,युवा वर्ग की बर्बाद होती जिन्दगी से उन्हें पार्टी की छवि के बदले कोई सरोकार नहीं है.भाजपा कह रही है की उसके परिवार का मसला है अब जीत के बाद वह आम-जन जिन्होंने उसे सत्ता में बैठाया है उसकी तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है.
कांग्रेस वैसे ही संकट के दौर से गुजर रही है,उसके पास राष्ट्रीय रूप में कोई भी विश्वस्त चेहरा नहीं है,आप पार्टी जिसे जनता ने दिल्ली में चुनावी जीत दिला भाजपा को पटखनी दी है उसे ख़त्म करना भाजपा का एक मिशन है और वह इस मिशन में लगी हुई है.इसके बावजूद व्यापम जैसा खूनी मुद्दा कांग्रेस के हाथ आना भाजपा की प्रशासनिक कमजोरी और भ्रष्टाचार का आईना है.