भोपाल, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के पर्यवेक्षक रहे भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी विजय बहादुर की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। उनका शव ओड़िशा के झारसुगुडा स्टेशन के समीप रेल लाइन पर मिला है। उनकी मौत को व्यापमं घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, विजय बहादुर अपनी पत्नी नीता सिंह के साथ पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस से ओड़िशा से लौट रहे थे। एसी बोगी में आ रहे विजय बहादुर गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात लगभग 12 बजे चलती गाड़ी से गिर गए और उनकी मौत हो गई।
विजय बहादुर ने व्यापमं की 2010 से 2013 के बीच हुई करीब 12 परीक्षाओं में प्रश्नपत्र चयन करने से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन तक की निगरानी की जिम्मेदारी संभाली थी।
विजय बहादुर की देखरेख में हुई शिक्षक वर्ग-3 की पात्रता परीक्षा-2011 में बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आई थी और इसी सिलसिले में तत्कालीन शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई बड़े अधिकारी जेल में हैं।
सूचनाधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने सीबीआई से विजय बहादुर की मौत का मामला तुरंत जांच के दायरे में लेने और व्यापमं से जुड़े अन्य पर्यवेक्षकों को सुरक्षा प्रदान करने और उनसे पूछताछ करने की मांग की है।
ज्ञात हो कि व्यापमं घोटाले की जांच सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई कर रही है। नौ जुलाई को सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद व्यापमं से जुड़ी यह पहली मौत है। सीबीआई को जांच सौंपे जाने से पहले व्यापमं से जुड़े 48 लोगों की मौत हुई थी।
मध्यप्रदेश का यह चर्चित व्यापमं मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों तथा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए परीक्षा से लेकर विभिन्न विभागों की तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती परीक्षा आयोजित करता है। जुलाई 2013 में व्यापमं घोटाले के खुलासा होने पर यह मामला एसटीएफ को सौंपा गया और फिर उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी।
एसटीएफ जांच की कछुआ रफ्तार और इससे जुड़े लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ते चले जाने से देशभर में पनपे आक्रोश को भांपते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जुलाई, 2015 को व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए।
व्यापमं घोटाले के सिलसिले में एसटीएफ ने कुल 55 मामले दर्ज किए थे। एसटीएफ की जांच के दौरान 21 सौ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, जबकि 491 आरोपी अब भी फरार हैं। इस घोटाले और जांच से जुड़े 48 लोगों की मौत देश-विदेश में चर्चा का विषय बनी। एसटीएफ इस मामले के 12 सौ आरोपियों के चालान कर चुकी है। अब मामले की जांच सीबीआई कर रही है।