- सातवें-आठवें दशक में जबलपुर के चर्चित अखबार ज्ञानयुग (पूर्व में हितवाद) के सह संपादक टिल्लन रिछारिया (पूरा नाम शिवशंकर दयाल रिछारिया) का गत दिवस निधन हो गया। वे मूलत: चित्रकूट के रहने वाले थे लेकिन यायावरी तबियत के होने के कारण उनका जबलपुर आना हुआ था। उनकी किसी भी किसिम की रचनात्मकता में समय, समाज और सभ्यता का स्पष्ट वेग रहा। टिल्लन रिछारिया हिन्दी पत्रकारिता में उन चुनिंदा पत्रकारों में से एक रहे जिन्होंने संभवत: सर्वाधिक अखबारों व मेगजीन में काम किया। हिन्दी पत्रकारिता में टिल्लन रिछारिया कांसेप्ट, प्लानिंग, लेआउट और प्रेजेंटेशन अवधारणा को शुरु करने वालों में से रहे। इसका भरपूर प्रवाह राष्ट्रीय सहारा के ‘ उमंग ‘ और ‘ खुला पन्ना ‘ में 1991 से 1995 तक देखने को मिला। भाषा की रवानी, कथ्य की कहानी, आकर्षक फोटो और ग्राफिक्स से सजे …धर्मयुग, करंट, राष्ट्रीय सहारा के उमंग और खुला पन्ना के वे पन्ने हालाँकि इतिहास के झरोखे से उन लोगों के जेहन में अभी भी झांकते हैं जो उस दौर के हिन्दी-प्रवाह के साथ आँख खोल कर चले और आज भी अतीत की उस श्रेष्ठता को सराहने में झेंपते नहीं ।
टिल्लन रिछारिया इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप मुम्बई के हिन्दी एक्सप्रेस, करंट, धर्मयुग, पूर्वांचल प्रहरी (गुवाहाटी) वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, हरिभूमि (नई दिल्ली) में स्थानीय सम्पादक, दैनिक भास्कर (नई दिल्ली) में वरिष्ठ सम्पादक, आईटीएन टेली मीडिया मुम्बई, एन सी आर टुडे के ऐसोसिएट एडिटर व प्रबंध सम्पादक रहे। फिलहाल आयुर्वेदम पत्रिका के प्रधान संपादक थे.
- टिल्लन रिछारिया जबलपुर से बहुत प्यार करते थे। वे कहते थे कि जबलपुर प्रेम व आनंद का सिद्ध तीर्थ है। उनको भी इस रस राग और तिलिस्मात से भरे शहर ने अपनी छांव में कुछ समय रहने का मौका दिया। टिल्लन पूरी दुनिया घूम लिए लेकिन उनका कहना था कि गहन आत्मीयता से भरा जबलपुर शहर पल भर में ही अपना दीवाना बना लेता है । उन्होंने कभी लिखा था-‘’ हमें आये अभी एक दो दिन ही हुए थे कि दफ्तर के पास की चाय पान की दूकान में देखिए दिलफ़रेब स्वागत होता है । साथियों से नाम सुनते ही पान वाले बोले … अरे टिल्लन जी आप आ गये। बम्बई से पूनम ढिल्लन जी का फोन था कि भाई साहब का ख्याल रखना। इस शहर में आपका स्वागत है, हम हैं न।…अरे हां, राखी भेजी है आप के लिए , अभी लाकर देता हूँ ।…जबलपुर ज्यादा देर आपको अजाना नहीं रहने देता।‘’ जबलपुर में टिल्लन रिछारिया के यारों के यार में राजेश नायक, चैतन्य भट्ट, राकेश दीक्षित, ब्रजभूषण शकरगाए, अशोक दुबे थे। टिल्लन रिछारिया को श्रद्धांजलि.