नई दिल्ली/लखनऊ, 26 फरवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। बसपा मुखिया मायावती ने शुक्रवार को कहा कि रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहाये आंसू घड़ियाली आंसू साबित हुए हैं, क्योंकि इस मामले की जांच के लिए बनाए गए न्यायिक आयोग में किसी एक भी दलित को नहीं रखा गया है।
नई दिल्ली/लखनऊ, 26 फरवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। बसपा मुखिया मायावती ने शुक्रवार को कहा कि रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहाये आंसू घड़ियाली आंसू साबित हुए हैं, क्योंकि इस मामले की जांच के लिए बनाए गए न्यायिक आयोग में किसी एक भी दलित को नहीं रखा गया है।
मायावती ने राज्यसभा के साथ-साथ बाहर मीडियाकर्मियों से इस मामले में बातचीत की और कहा कि रोहित मामले में जांच आयोग का गठन भी पूरी कानूनी प्रक्रिया को अपनाकर नहीं बनाया गया, जिस कारण जांच आयोग संबंधित गजट नोटिफिकेशन कानून की नजर में अमान्य व गैर-कनूनी है। इससे भाजपा सरकार की दलितों के प्रति जातिवादी गलत मानसिकता ही नहीं बल्कि इनका साजिशी चरित्र भी झलकता है।
बसपा मुखिया ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी पर निशाना साधते हुए कहा कि रोहित वेमुला मामले में गठिन न्यायिक जांच आयोग में एक भी दलित सदस्य नहीं रखा गया और मानव संसाधन मंत्री इस संबंध में उनकी बात को इधर-उधर की बातें कहकर टालती रहीं और आज भी इस सवाल का सही जवाब नहीं दिया गया।
बसपा मुखिया ने कहा कि न्यायिक आयोग अकेले सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार रूपानवाल की अध्यक्षता में बना है वह भी अपरकास्ट समाज के हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी गजट का हवाला दिया। मायावती ने कहा कि साफ है कि इससे केन्द्र सरकार की रोहित को न्याय देने की मानसिकता पूरे तौर से ‘कोरी बेईमानी व दलितों को धोखा’ देने वाली ही नजर आती है।
इसके अलावा आयोग पर सवाल उठाते हुए बसपा मुखिया ने कहा कि यह जांच कमीशन (आयोग) सेक्शन थ्री कमिशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत बनाया गया है। इस कमीशन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज को सिंगल मेम्बर बनाया गया है, जो कि अनुसूचित जाति के नहीं हैं।
मायावती ने कहा कि जब सेक्शन 3 के अनुच्छेद (2) में यह प्रावधान है कि सरकार न्यायिक कमीशन में एक से ज्यादा सदस्य बना सकती है तो फिर सरकार रोहित के मामले में कमीशन को बनाते समय इसमें एक से ज्यादा सदस्य बना सकती थी और अब भी बना सकती है। लेकिन सरकार अभी तक भी इस मामले में अपनी चुप्पी साधे हुए है। इससे इनकी दलित विरोधी मानसिकता साफ नजर आती है।
बसपा मुखिया ने कहा कि केन्द्र सरकार को आयोग बनाने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव लाकर पास कराना चाहिए था। इसके बाद ही गजट नोटिफिकेशन जारी होना चाहिए था, लेकिन सरकार ने साजिशन ऐसा नहीं किया, जिससे आगे चलकर ये कमीशन ऑफ इन्क्वायरी अदालत से गैर-कानूनी घोषित हो जाए और फिर कमीशन द्वारा दी गई रिपोर्ट अवैध व गैर-कानूनी करार कर दी जाए।
मायावती ने कहा कि यह सब केन्द्र की सरकार की दलित विरोधी मानसिकता व नीयत को साफ तौर से दर्शाता है। उन्होंने कह कि यह गैर-कानूनी अध्यादेश केवल रोहित की आत्महत्या के मामले को दबाने और ठंडा करने तथा इसके मुख्य दोषियों को बचाने आदि की नीयत से ही किया गया है, न कि रोहित को तथा यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे अन्य और दलित छात्रों को न्याय दिलाने के लिए।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि इस प्रकरण के अधिकांश दोषी लोग आर.एस.एस. के कट्टर समर्थक बताए जा रहे हैं, जिन्हें केन्द्र की सरकार अन्दर-अन्दर पूरे जी-जान से बचाने में लगी हुई है।
नाटक के बजाए रोहित के भाई को नौकरी देतीं स्मृति :
बसपा मुखिया ने कहा कि इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने रोहित की आत्महत्या पर जो अपने भाषण में कई बार भावुकता दिखाई है, ऐसे नाटक के बजाए उन्हें अपने मन्त्रालय में रोहित के छोटे भाई को कोई सरकारी नौकरी दे देनी चाहिये थी, जिसके लिए उसकी मां दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री से फरियाद कर रही हंै। मायावती ने ये भी कहा कि यदि उत्तर प्रदेश मंे उनकी पार्टी की सरकार होती, तो वह रोहित की मां के बिना फरियाद के ही, उनके छोटे बेटे को अब तक सरकारी नौकरी भी जरूर दे देती।
अब चरणों में सर रख सकती हैं स्मृति
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के बयान का हवाला देते हुए मायावती ने कहा कि उन्होंने कहा था कि यदि बसपा मुखिया उनके जवाब से सन्तुष्ट नहीं हुई, तो फिर वह अपना सर काटकर, उनके चरणों में रख देंगी। मायावती ने कहा कि वह स्मृति ईरानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं और वह अपना सिर उनके चरणों पर रख सकती हैं।
मायावती ने कहा, “मैं आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हूं आप अपना सिर मेरे चरणों में रख दें।”