इलाहाबाद। वेद की ऋचाओं का लुप्त होना भारत के लिए चिंता की बात है। वेदों की पावन धारा सर्वत्र बहे और हमारा राष्ट्र उन्नत होकर संपूर्ण विश्र्र्व का कल्याण करे। इसके लिए हर व्यक्ति को संकल्पित होना होगा, क्योंकि वेद की ऋचाओं को संरक्षित करके ही भारत की संस्कृति को बचाया जा सकता है। स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज ने शुक्त्रवार को यह बातें कहीं। वह विश्र्र्व हिंदू परिषद कार्यालय परिसर (केसर भवन) में हिम्मत सिंह महेश्र्र्वरी वेद भवन के शिलान्यास समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक देश वैदिक अधिष्ठान पर खड़ा नहीं होगा तब तक देश के अंदर सुख, समृद्धि और शांति नहीं आएगी।
विहिप संरक्षक अशोक सिंहल ने कहा कि एक समय गांव-गांव में वैदिक ऋचाएं गूंजती थीं। इसी कारण कारण भारत विश्र्र्वगुरु बना। उनका कहना था कि हमें वैदिक राष्ट्र की स्थापना के लिए आगे आना होगा। चंपत राय ने कहा कि वेद विधाओं का संरक्षण एवं संवर्धन ही विहिप द्वारा संचालित वेद विद्यालयों की श्रृंखला का मूल उद्देश्य है। अध्यक्षता कर हरे स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि वेद ही मानव का उद्धार कर सकता है। साथ ही पर्यावरण में व्याप्त असंतुलन को ठीक करने में सक्षम हैं। आयोजन में स्वामी राम रतन दास, हरिसिंह महेश्र्र्वरी, सुरेश अग्रवाल, मनोज श्रीवास्तव, विनोद, आशुतोष, अमित पाठक, गोपाल, विजय मिश्र, डॉ. आरएन मिश्र, राधेश्याम तिवारी, प्रकाश वैश्य मुख्य रूप से मौजूद थे।