नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने केंद्रीय अनुदान से जुड़े हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बयान की आलोचना की है। नड्डा ने मुख्यमंत्री के इस बयान को गुमराह करने वाला करार दिया है कि केंद्र सरकार ने राज्य का अनुदान रोक दिया है।
नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने केंद्रीय अनुदान से जुड़े हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बयान की आलोचना की है। नड्डा ने मुख्यमंत्री के इस बयान को गुमराह करने वाला करार दिया है कि केंद्र सरकार ने राज्य का अनुदान रोक दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक बयान में कहा है कि केंद्र सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए करों में सभी राज्यों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद कर दी है। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने केंद्र द्वारा प्रायोजित सभी योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अब ऐसी योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य की राशि का अनुपात 90:10 का होगा। ऐसा कर हिमाचल प्रदेश की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया गया है।
बयान में कहा गया है कि सर्व शिक्षा अभियान और कमान क्षेत्र विकास योजना सहित केंद्र प्रायोजित कई योजनाओं में राज्य की देनदारी 25 फीसद से 35 फीसद हुआ करती थी। यह कम करते हुए 10 फीसद की गई है जिससे इस पहाड़ी राज्य को काफी राहत मिली है।
इन राज्यों के लिए 90:10 फीसदी देनदारी तय करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने इससे पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार से बहुत अधिक पैसे दिए हैं।
नड्डा ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश, हिमाचल प्रदेश ने इस गैर उत्पादक अस्तियों पर मिलने वाले अप्रत्याशित लाभ को गंवा दिया। मुख्यमंत्री अब भी खरात और सरपरस्ती वाले अंदाज में काम कर रहे हैं।’
नड्डा भी हिमाचल प्रदेश के ही हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए वर्ष 2015 से 2020 की अवधि में केंद्र से कुल 28 हजार 225 करोड़ रुपये कर हिस्सेदारी के रूप में देने का आकलन किया गया है जबकि वर्ष 2010-15 की अवधि में वास्तव में 11 हजार 131 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं। यह पिछले पांच साल की अवधि की तुलना में 17 हजार 94 करोड़ अधिक है।
इसके अलावा हिमाचल को 2015-20 के लिए सहायता अनुदान मद में भी 43 हजार 810 करोड़ रुपये देने की संस्तुति की गई है। यह वर्ष 2010-15 के बीच वास्तव में दिए गए अनुदान से 33 हजार 356 करोड़ रुपये अधिक है।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत मिलने वाले 3000 करोड़ रुपये के वार्षिक अनुदान को रोके जाने पर अपनी चिंता जताई थी।