Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 विवादित धर्मस्थलों पर दावे की हिंदू संगठन की याचिका के ख़िलाफ़ जमीयत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » विवादित धर्मस्थलों पर दावे की हिंदू संगठन की याचिका के ख़िलाफ़ जमीयत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

विवादित धर्मस्थलों पर दावे की हिंदू संगठन की याचिका के ख़िलाफ़ जमीयत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

June 16, 2020 7:35 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on विवादित धर्मस्थलों पर दावे की हिंदू संगठन की याचिका के ख़िलाफ़ जमीयत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा A+ / A-

अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा अन्य विवादित धर्म स्थलों पर दावे के लिए वाद का रास्ता खोलने की एक हिंदू संगठन की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि ऐसा करने से राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचेगा.

अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा अन्य विवादित धर्म स्थलों पर दावे के लिए वाद का रास्ता खोलने की एक हिंदू संगठन की कोशिश का विरोध करने के लिए एक मुस्लिम संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक हिंदू संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ द्वारा पिछले हफ्ते दायर उस याचिका का विरोध किया है, जिसके तहत 1991 के एक कानून के प्रावधान को चुनौती दी गई है, जो पवित्र धार्मिक ढांचों की ‘धार्मिक विशेषता’ को 15 अगस्त 1947 की स्थिति के मुताबिक रखने की व्यवस्था करता है.

द टेलीग्राफ के अनुसार, महासंघ ने अपनी याचिका में कहा है कि धारा 4 हिंदुओं के उन तीर्थों (जिन्हें नष्ट कर दिया गया था या उनके चरित्र को आक्रमणकारियों द्वारा बदल दिया गया था) को पुनः प्राप्त करने के अधिकार को प्रतिबंधित करके पूर्वव्यापी रूप से इस तरह के विनाश को मान्य करता है.

इसने आगे तर्क दिया है कि धारा 4 हिंदुओं के साथ भेदभाव करती है (मुसलमानों के संबंध में) पूजा स्थलों पर कब्जा करने के मामले में.

मुस्लिम संगठन ने महासंघ द्वारा दायर याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग करते हुए अनुरोध किया है कि न्यायालय को 1991 के कानून के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

13 जनवरी को दायर जमीयत की याचिका में कहा गया है, ‘शुरुआत में यह याचिका मौजूदा रिट याचिका का विरोध करने के लिए दायर की गई है, ताकि यह अदालत मौजूदा याचिका में नोटिस जारी नहीं करे.

यह दलील दी गई है कि मौजूदा मामले में नोटिस जारी किए जाने से भी मुस्लिम समुदाय के मन में उनके धार्मिक स्थल के बारे में, खासतौर अयोध्या विवाद के बाद, भय पैदा होगा और यह राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट कर देगा.’

इसमें कहा गया है कि महासंघ की याचिका में इसे आधार बनाया गया है कि उपासना स्थल अधिनियम की धारा चार हिंदू समुदाय के लोगों को उपासना के उन स्थलों पर दावा करने से रोकती है, जो उनके मुताबिक हिंदू धार्मिक ढांचा थे, लेकिन जिन्हें मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कथित तौर पर परिवर्तित कर दिया गया.

जमीयत की याचिका में कहा गया है कि यह प्रतीत होता है कि मौजूदा याचिका उन उपासना स्थलों को निशाना बनाती है, जो वर्तमान में इस्लामी ढांचा है.

याचिका में कहा गया है कि उपासना स्थल अधिनियम एक धर्मनिरपेक्ष देश के दायित्वों से संबंधित है और यह सभी धर्मों के प्रति समानता के व्यवहार की भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है. मुस्लिम संगठन ने कहा कि ऐतिहासिक गलतियों को लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर सुधारा नहीं जा सकता.

इसमें कहा गया है, ‘आखिरकार, जैसा कि एम. सिदि्दक मामले (अयोध्या विवाद मामले) की सुनवाई के दौरान इस न्यायालय के समक्ष यह उल्लेख किया गया था कि ऐसी अनगिनत मस्जिदों की सूची सोशल मीडिया पर घूम रही है, जिनके बारे में आरोप लगाया गया है कि वे हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं.’

याचिका में कहा गया, ‘यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि यदि मौजूदा याचिका पर विचार किया जाता है तो यह देश में अनगिनत मस्जिदों के खिलाफ हजारों वाद का दरवाजा खोल देगी और अयोध्या विवाद के बाद जिस धार्मिक विभाजन से देश उबर रहा है, वह सिर्फ और चौड़ा ही होगा.’

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की धारा-4 को चुनौती देने वाली महासंघ की याचिका काशी और मथुरा मामले में भी महत्व रखती है, जहां दो विवादित मस्जिद हैं.

वर्ष 1991 का यह कानून किसी मंदिर को मस्जिद में तब्दील करने या किसी मस्जिद को मंदिर में बदलने से रोकता है.

विवादित धर्मस्थलों पर दावे की हिंदू संगठन की याचिका के ख़िलाफ़ जमीयत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा Reviewed by on . अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा अन्य विवादित धर्म स्थलों पर दावे के लिए वाद का रास्ता खोलने की एक हिंदू संगठन की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद न अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा अन्य विवादित धर्म स्थलों पर दावे के लिए वाद का रास्ता खोलने की एक हिंदू संगठन की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद न Rating: 0
scroll to top