नई दिल्ली, 11 नवंबर (धर्मपथ)| एक अग्रणी थिंक टैंक ने शुक्रवार को कहा कि अधिक मूल्य के नोटों का अचानक हुआ विमुद्रीकरण 3,35,000 करोड़ से अधिक के नोटों के नष्ट होने की वजह बन सकता है जबकि बैंकिंग व्यवस्था में 1,34,000 करोड़ के मूल्य के नए नोट शामिल हो सकते हैं। इमेजइंडिया इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष रोबिंद्र सचदेव ने कहा, “सरकार का यह कदम भारत में काले धन के नकद हिस्से के लिए मौत का फरमान है।”
सचदेव ने कहा, “करीब 50 अरब डालर (3,35,000 करोड़ रुपये) मूल्य की अवैध नकदी नष्ट होगी और करीब 20 अरब डालर (1,34,000 करोड़ रुपये) की वैध नकदी बैंकिंग व्यवस्था में दाखिल होगी।”
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, विमुद्रीकरण का यह कदम 30 सितंबर को समाप्त हुई स्वैच्छि आय घोषणा योजना की समाप्ति के बाद उठाया गया जिसमें कहा जा रहा है कि सरकार को 19 अरब डालर (1,27,490 करोड़ रुपये) मिले।
इमेजइंडिया के मुताबिक, इसका अर्थ यह हुआ कि काले धन के खिलाफ भारत की जंग में उसकी बैंकिंग व्यवस्था को 31 दिसंबर तक कुल 40 अरब डालर (2,68,400 करोड़ रुपये) मिल जाएंगे।
इमेजइंडिया का कहना है कि मौजूदा प्रचलन में सभी करेंसी नोट कोई अवैध रूप से हासिल की गई नकदी नहीं हैं। भारत सरकार के कदम के प्रभाव के अध्ययन के तहत हमारा मानना है कि 500 और 1000 के कुल नोटों में से 70 फीसदी वैध और 30 फीसदी अवैध हैं।
लेकिन, इमेजइंडिया ने यह भी कहा कि जितना काला धन भारत में पैदा हुआ है, उसी तुलना में मौजूदा प्रचलन में या छिपा कर रखा नकद धन बहुत कम है। उसका मानना है कि भारतीय जीडीपी के 20 फीसदी का हिसाब किताब नहीं है और यह काली अर्थव्यवस्था में है।
विश्व बैंक के डाटा के मुताबिक 2006 से 2015 के बीच भारत की संचित जीडीपी 20,134 अरब डालर थी।
सचदेव ने कहा, “इसका अर्थ यह हुआ कि 20 फीसदी अवैध धन के हिसाब से भारत में बीते दस साल में 4,027 अरब डालर काला धन पैदा हुआ है।”
बीते दस सालों में पैदा हुए काले धन का अधिकांश हिस्सा वैध बैंक डिपाजिट, जमीन, संपत्ति, सोना, हीरा, चांदी, कलाकृति और ऐसे अन्य सामानों में लगाया जा चुका है। साथ में, इसका कुछ हिस्सा विदेश में ‘सेफ हैवन’ और निवेश के लिए भेजा जा चुका है, या फिर वैध तरीके से भारतीय कंपनियों में लगा है।
सचदेव ने कहा, “कालेधन के खिलाफ इस जंग में सरकार 4,027 अरब डालर में से केवल 50 अरब डालर को ही खत्म करने में सक्षम होगी। लेकिन, यह अधिकतम है जो अभी किया जा सकता है। साथ ही, भारत में यह काले धन के भविष्य के लिए बेहद तगड़ा आघात है।”