नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय शेयर बाजारों में एक अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश जारी रहा। इस वजह से बाजारों में लगभग तीन प्रतिशत की मजबूती देखी गई। एफपीआई ने इस दौरान 265.29 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
एफपीआई ने 27 मार्च को समाप्त हुए तीन सप्ताहों की अवधि के दौरान भारतीय बाजारों में गिरावट के रुख के बावजूद शुद्ध खरीदारी की।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लि. (एनएसडीएल) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, एक अप्रैल को समाप्त सप्ताह में एफपीआई ने 4.23 करोड़ डॉलर यानी 265.29 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान विदेशी निवेशकों ने 20 लाख डॉलर यानी 12.57 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
27 मार्च को समाप्त हुए पिछले सप्ताह के दौरान एफपीआई ने 36.93 करोड़ डॉलर यानी 2,301.1 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने 6.692 करोड़ डॉलर यानी 419.41 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
20 मार्च को समाप्त सप्ताह के दौरान एफपीआई ने 31.246 करोड़ डॉलर यानी 1,952.36 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। हाालंकि इस दौरान इन्होंने 18.482 करोड़ डॉलर यानी 1,159.96 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
बाजार विनियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के साथ उपखातों और योग्य विदेशी निवेशकों को मिला कर एफपीआई नामक एक नई निवेशक श्रेणी बनाई है।
विश्लेषकों का कहना है कि तीन सप्ताह से चल रही गिरावट से बाजार निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो गया है।
जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, देवेंद्र नेवगी ने कहा, “तीन सप्ताह की गिरावट ने लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बाजार को आकर्षक बना दिया है। इस दौरान गिरावट से शेयरों का बाजार भाव अधिक आकर्षक हो गया।”
जियोजिट बीएनपी पारिबास के उपाध्यक्ष गौरांग शाह ने चेताया कि भारतीय बाजारों में नया निवेश करने से पहले एफआईआई बाजार से हो रही आमदनी में वृद्धि को बढ़ाना चाहते हैं।
वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में अपना निवेश 39.67 प्रतिशत बढ़ाकर 111,333 करोड़ रुपये कर दिया है।
एनएसडीएल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2013-14 में एफपीआई ने बाजार में 79,709 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
कोटक सिक्युरिटीज में मुद्रा डेरिवेटिव के वरिष्ठ प्रबंधक अनिंद्य बनर्जी ने अईएएनएस से कहा, “निवेश में इस वृद्धि का कारण यह है कि 2013-14 के दौरान हम एक निचले आधार पर थे और भारतीय बाजारों में गिरावट थी और इस वजह से यहां निवेश करना अधिक सुलभ और आसान था।”
बनर्जी ने कहा, “भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में भी काफी बदलाव देखा गया। भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आई भाजपा सरकार और नई सरकार के ईद-गिर्द आर्थिक सुधार के कदम और त्वरित सुधारवादी कदमों को उठाने और उन्हें संसद में पारित करवाने से देश में एक उत्प्रेरक माहौल बन गया।”
जनवरी-मार्च 2015 तिमाही में एफपीआई द्वारा किया गया निवेश 64.32 प्रतिशत बढ़ कर 36,473 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2014 की समान तिमाही में यह निवेश 22,195 करोड़ रुपये दर्ज हुआ था।
शेयर बाजारों में हालांकि मार्च महीने में एफपीआई निवेश 39.84 प्रतिशत घटकर 12,078 करोड़ रुपये रहा, जो मार्च 2014 में 20,077 करोड़ रुपये रहा था।
आगामी सप्ताह में फरवरी महीने के खुदरा महंगाई दर के आकंड़े एफपीआई निवेशकों की चिंता बढ़ा सकते हैं। क्योंकि इससे अगले महीने आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धुंधली हो सकती हैं।
आरबीआई सात अप्रैल 2015 को इस साल की अपनी पहली द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा बैठक करने जा रहा है।
आगामी सप्ताह में बाजार की चिंता का एक अन्य कारण कंपनियों के उम्मीद से कमतर चौथी तिमाही के नतीजे हो सकते हैं।
एक अप्रैल को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के संवेदनशील सूचकांक सेंसेक्स में 801.55 अंक यानी 2.91 प्रतिशत की मजबूती के साथ 28,260.14 पर बंद हुआ, जबकि 27 मार्च को यह 27,458.64 पर बंद हुआ था।
भारतीय शेयर बाजार महावीर जयंती और गुड फ्राइडे के उपलक्ष्य में दो और तीन अप्रैल को बंद रहे।